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'सभी डॉक्टर आपातकालीन और आवश्यक कर्तव्य निभा रहे हैं', डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, NTF को स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का मिला आदेश

सुप्रीम कोर्ट को डॉक्टरों ने बताया राज्य में सभी डॉक्टर आपातकालीन और आवश्यक कर्तव्य निभा रहे हैं, जिसमें इन-पेशेंट और आउट-पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) सेवाएं शामिल हैं.

आरजी कर मेडिकल कॉलेज, सुप्रीम कोर्ट

Written by My Lord Team |Updated : October 1, 2024 6:46 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फोरम (डब्ल्यूबीजेडीएफ) की ओर से दिए गए वचन को नोट किया कि राज्य में सभी डॉक्टर आपातकालीन और आवश्यक कर्तव्य निभा रहे हैं, जिसमें इन-पेशेंट और आउट-पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) सेवाएं शामिल हैं.

सभी आवश्यक सेवा दे रहें डॉक्टर

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, जो आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बलात्कार-हत्या से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, ने डॉक्टरों के संघ का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा दिए गए बयान का दर्ज किया.

पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने सीबीआई द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या तथा सरकारी अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच कर रही है. अदालत ने सीसीटीवी कैमरे लगाने की "धीमी" गति और अपने पिछले आदेशों में दिए गए अन्य निर्देशों पर अपनी नाराजगी व्यक्त की.

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14 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के दूसरे सबसे बड़े विधि अधिकारी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे अगली सुनवाई से पहले राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) द्वारा तैयार की गई स्थिति रिपोर्ट पेश करें. इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होने की संभावना है. शीर्ष अदालत ने देश भर में चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए उपाय सुझाने के लिए एनटीएफ के गठन का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि डॉक्टरों की सुरक्षा एक राष्ट्रीय चिंता है. सुप्रीम कोर्ट ने एनटीएफ से डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, काम करने की स्थिति और कल्याण से संबंधित प्रभावी सिफारिशें तैयार करते समय विविध चिकित्सा संघों को सुनने का मौका देने को कहा.

महिला डॉक्टरों की नाइट शिफ्ट पर नहीं लगा सकते रोक

पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश की ओर ध्यान आकर्षित किए जाने पर चिंता जताई थी, जिसमें महिला डॉक्टरों को रात में काम पर नहीं रखने की आवश्यकता बताई गई थी. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि लैंगिक समानता के मूल संवैधानिक आधार पर कोई भी ऐसी शर्त लागू नहीं की जाएगी, जो संविधान के मूल आधार पर संदेह पैदा करती हो. इसके अलावा, इसने दोहराया कि काम पर लौटने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई प्रतिकूल या दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.

कोलकाता के सरकारी आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को "भयावह" बताया था, जो "देश भर में डॉक्टरों की सुरक्षा के प्रणालीगत मुद्दे" को उठाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा गया था कि हम इस तथ्य से बहुत चिंतित हैं कि देश भर में, खासकर सरकारी अस्पतालों में युवा डॉक्टरों के लिए काम करने की सुरक्षित परिस्थितियों का अभाव है.