शुक्रवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) की स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव के वास्ते कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करने में उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से की गई ‘ जल्दबाजी’ पर सवाल उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल कार्यलय को निर्देश दिया है कि जब तक अदालत MCD मेयर की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेती है, तब तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव नहीं कराए.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने राज्यपाल कार्यालय से कहा कि वह स्थायी समिति के अध्यक्ष पद का चुनाव तब तक न कराए जब तक वह (न्यायालय) 27 सितंबर को हुए स्थायी समिति चुनाव के खिलाफ महापौर शैली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई न कर ले.
पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन से कहा कि यदि आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे. पीठ ने कहा कि शुरुआत में वह इस याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं थी, लेकिन उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा दिल्ली नगरपालिका अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने के निर्णय के कारण उसे नोटिस जारी करना पड़ा.
पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से कहा कि यदि आप दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 487 के तहत कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. आप चुनावी प्रक्रिया में बाधा कैसे डाल सकते हैं. पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से दो सप्ताह में जवाब मांगा और मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत के दशहरा अवकाश के बाद निर्धारित की है.