Advertisement

'गुमटी ऑफ शेख अली के आसपास के सभी अतिक्रमण को दो हफ्ते के भीतर हटाएं', सु्प्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार, MCD को आदेश दिया

शीर्ष न्यायालय ने MCD को स्मारक परिसर में स्थित अपने इंजीनियरिंग विभाग के कार्यालय को दो सप्ताह के भीतर खाली करके भूमि और विकास कार्यालय को सौंपने का निर्देश दिया है.

Supreme court

Written by Satyam Kumar |Published : April 8, 2025 6:44 PM IST

आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और MCD को लोधी काल के स्मारक गुमटी ऑफ़ शेख अली के आसपास की सभी अतिक्रमणों को हटाने का निर्देश दिया है. अदालत ने MCD को निर्देश दिया कि वे अपने इंजीनियरिंग विभाग का कार्यालय, जो स्मारक परिसर के भीतर स्थित है, उसे लैंड एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट को दो सप्ताह के भीतर खाली करके सौंप दे. सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय उप-पुलिस आयुक्त (DCP) और DCP (ट्रैफिक) को क्षेत्र की दैनिक निगरानी करने का निर्देश दिया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि अदालत के आदेश का पालन किया जा रहा है.

RWA को 40 लाख का मुआवजा देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा कॉलोनी निवासी कल्याण संघ (RWA) को 40 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जो कि स्मारक के आसपास अनधिकृत कब्जे करने के लिए है. हालांकि, संघ ने अब तक यह राशि जमा नहीं की है और अब उसे 14 मई तक का समय दिया गया है. RWA ने अपने कब्जे को सही ठहराते हुए कहा कि यदि वे वहां नहीं होते तो अव्यवस्थित तत्वों द्वारा स्मारक को नुकसान पहुंचाया जा सकता था. जस्टिस अमानुल्लाह ने RWA के इस तर्क पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि यह उचित नहीं है. बता दें कि यह मामला पिछले छह दशकों से चल रहा है, जिसमें RWA ने स्मारक का अनधिकृत रूप से उपयोग किया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पुरातत्व विभाग को स्मारक की बहाली के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, अदालत ने लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस को स्मारक का शांतिपूर्ण कब्जा सौंपने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने Swapna Liddle की रिपोर्ट की समीक्षा की, जो भारतीय राष्ट्रीय ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज की दिल्ली शाखा की पूर्व संयोजक हैं. उन्हें स्मारक का सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त किया गया ताकि स्मारक को हुए नुकसान का आकलन किया जा सके और इसकी बहाली की जा सके.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में ASI को स्मारक की सुरक्षा में विफलता के लिए कड़ी फटकार लगाई थी. जब CBI ने यह अदालत को यह बताया कि RWA ने 15वीं सदी की संरचना को अपने कार्यालय के रूप में उपयोग किया है, जिसे लेकर ASI की निष्क्रियता पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि वे प्राचीन संरचनाओं की सुरक्षा के अपने दायित्व से पीछे हट गए हैं.

Also Read

More News

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सभी स्मारक को 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थलों और अवशेष अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने का अनुरोध किया था. इस याचिका में कई ऐतिहासिक रिकॉर्डों का उल्लेख कर बताया गया कि यह संरचना 1920 में मौलवी जफर हसन द्वारा किए गए दिल्ली स्मारकों के सर्वेक्षण में उल्लेखित है. यह मामला न केवल स्मारक के संरक्षण का है, बल्कि हमारे ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा का भी है.

2019 में याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने स्मारक को सुरक्षित करने के आदेश देने से इनकार किया था. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने CBI को जांच करने के आदेश देते हुए कहा था कि किस प्रकार से RWA ने इस संरचना को अपने कार्यालय के रूप में कब्जा किया. जांच एजेंसी ने न्यायालय को बताया कि RWA द्वारा संरचना में कई परिवर्तन किए गए थे, जिसमें एक झूठी छत भी शामिल थी.

Topics

Supreme Court