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Manual scavenging: क्या राज्यों में हाथ से मैला ढ़ोने की प्रथा बंद हो गई? राज्यों के जबाव से सुप्रीम कोर्ट ने जाहिर की नाराजगी

Manual Scavenging को लेकर दिल्ली जल बोर्ड के हलफनामे को पीठ ने बहुत ही टालमटोल वाला जवाब बताया और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को बताने को कहा है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग का कार्य किसके अधिकार क्षेत्र में किया जा रहा है.

Manual Scavenging, Supreme court

Written by Satyam Kumar |Updated : March 1, 2025 11:32 AM IST

Manual scavenging: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, कोलकाता और हैदराबाद के अधिकारियों के जवाबों पर नाराजगी व्यक्त की है. इन राज्यों को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके बताना था कि उन्होंने अपने-अपने शहरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से गंदगी साफ करना) को कैसे रोका. राज्यों ने अपने-अपने यहां किए गए पहल की जानकारी दी तो सुप्रीम कोर्ट ने इन कार्रवाईयों को असंतोजनक पाते हुए नाराजगी व्यक्त की.

सीवर सफाई के दौरान मौत कैसे हुई: SC

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कोलकाता नगर निगम के नगर आयुक्त, दिल्ली जल बोर्ड के निदेशक और हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वॉटर और सीवरेज बोर्ड के प्रबंध निदेशक को अगले सुनवाई में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कोलकाता नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड और हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वॉटर और सीवरेज बोर्ड ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनके शहरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई के कारण कुछ मौतें कैसे हुईं. इसके अलावा, बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका के आयुक्त को भी उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि उनकी ओर से न तो कोई हलफनामा प्रस्तुत किया गया और न ही कोई प्रतिनिधित्व किया गया.

मैनुअल स्कैवेंजिंग बंद हो गई, तो मौत कैसे?

पीठ ने कहा कि पांच हलफनामों में से, कोलकाता नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत किए गए दो हलफनामे बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं हैं. सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई इन शहरों में पूरी तरह से बंद हो गई हैं. कोलकाता नगर निगम के हलफनामे में यह दावा किया गया कि वहां ये प्रथाएं बंद हो गई हैं. हालांकि, पीठ ने कहा कि उन्हें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि जब ये प्रथाएं बंद हो गई थीं, तो फिर 2 फरवरी 2025 को मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण तीन मौतें कैसे हुईं.

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दिल्ली जल बोर्ड के हलफनामे को पीठ ने "बहुत ही टालमटोल वाला जवाब" बताया, जिसमें यह नहीं बताया गया कि क्या मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई दिल्ली में जारी है या नहीं. पीठ ने कहा कि जो उत्तर मांगा गया था, वह नहीं दिया गया. कोर्ट ने यह भी पाया कि पिछले एक साल में दिल्ली में सात ऐसी मौतें हुईं, लेकिन इसके बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वॉटर और सीवरेज बोर्ड ने भी यह स्पष्ट नहीं किया कि प्रथाएं कब और कैसे बंद की गईं और पिछले एक साल में तीन संबंधित मौतें क्यों हुईं. पीठ ने मुंबई और चेन्नई के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत हलफनामों को संतोषजनक पाया. हालांकि, उसने कहा कि इन दोनों अधिकारियों को अन्य अधिकारियों की तरह विस्तृत हलफनामे प्रस्तुत करने की आवश्यकता है, जिसमें यह बताया जाए कि मशीनों और उपकरणों का उपयोग कब और कैसे किया गया.

20 मार्च को अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों से यह भी स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों उन अधिकारियों या ठेकेदारों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन शुरू नहीं किया जाना चाहिए जिन्होंने मैनुअल स्कैवेंजर्स को काम पर रखा और जिनके आदेश पर ये मौतें हुईं. कोलकाता में हुई मौतों के संबंध में, नगर निगम के वकील ने कहा कि यह घटना कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (KMDA) के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुई. पीठ ने कहा कि KMDA के वकील ने तर्क दिया कि उन्हें मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई का कार्य सौंपा नहीं गया था. पीठ ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को इस स्थिति को स्पष्ट करने और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्रों में मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई का कार्य किसके अधिकार क्षेत्र में किया जा रहा है.

पीठ ने मामले को 20 मार्च को सूचीबद्ध किया है. 29 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद में मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था.