आज अहले सुबह सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली- एनसीआर में नवजात बच्चों की तस्करी के गैंग के पर्दाफाश से जुड़ी खबर पर तत्परता से संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस खबर से नाराजगी जाहिर करते हुए अस्पताल से लेकर गुम हुए बच्चों के पैरेंट, तक को हिदायत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी नवजात बच्चे को हॉस्पिटल से चुराया जाता है तो सबसे पहला काम यह होना चाहिए कि उस अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में बच्चों की तस्करी को रोकने और इस तरह के केस से निपटने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए है. सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट से कहा है कि वो निचली अदालतों को बच्चों की तस्करी से जुड़े मामलों में 6 महीने में ट्रायल पूरा करने को कहे. ऐसे मामलों की ट्रायल कोर्ट में रोज़ाना ( day to day trial) हो. कोर्ट ने साफ किया कि इन दिशानिर्देश के अमल में किसी भी तरह की लापरवाही गम्भीरता से ली जाएगी और इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. यूपी के जिस तस्करी से जुड़े मामले की सुनवाई हो रही थी. उनमें 18 केस में 13 आरोपी थे. इनमे बच्चों की खरीद फ़रोख़्त से जुड़े गैंग के अलावा, दो नर्स और बच्चे को खरीदने वाले निसंतान दम्पति शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में बच्चों की तस्करी से जुड़े मामले में 18 आरोपी की ज़मानत खारिज करते हुए दिल्ली में बच्चों की तस्करी से गैंग की ख़बर का संज्ञान लिया.
सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक कपल पर चोरी का बच्चा खरीदने का आरोप लगा है. आरोपियों ने अंतरिम जमानत की मांग की. मैटर के कंटेट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कपल, बेटे पाने को लेकर इच्छुक थे, तब भी उन्हें चोरी किए गए बच्चे को गोद लेने से बचना चाहिए था, वे जानते थे कि बच्चा चोरी का है, फिर भी बच्चे की लालसा में चार लाख दे दिए.सुप्रीम कोर्ट ने इस कृत्य को अुनचित पाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और इलाहाबाद हाई कोर्ट के रवैये से आपत्ति जाहिर की. शीर्ष अदालत ने कहा कि जिस तरह से यूपी सरकार और हाई कोर्ट ने इस मामले में रूख अपनाया वह निराशाजनक है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस जमानत याचिका को इस तरह से ट्रीट किया, जिससे आरोपियों को भागने का मौका मिल गया. अगर हाई कोर्ट को बेल देना ही था, तो उन्हें यह शर्त लगानी चाहिए थी कि आरोपियों को पुलिस स्टेशन में हर सप्ताह हाजिरी लगानी पड़ेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को छह महीने के भीतर बच्चा चोरी से जुड़े मामले की सुनवाई करने के निर्देश दिए है. साथ ही यूपी पुलिस को चाइल्ड ट्रैफिकिंग से निपटने के लिए अपने द्वारा जारी किए दिशानिर्देशों को लागू करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों को लेकर सजग रहने की ज़रूरत है. बच्चे के खो देने पर पर माता पिता को जो दुःख पहुंचता है, वो उससे अलग होता है कि जब बच्चा मर जाता है. बच्चे के मर जाने पर इंसान ( ये सोच लेता है) कि बच्चा भगवान के पास चला गया लेकिन बच्चे के खो जाने पर मासूम पूरी तरह तस्करी करने वाले गैंग की दया पर निर्भर हो जाते है.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के बच्चों की तस्करी के मामले में आदेश सुनाते हुए दिल्ली में इस गैंग के पकड़े जाने की घटना का जिक्र किया है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली गैंग के पर्दाफाश की यह घटना अपने आप मे हतप्रभ कर देने वाली है और कोर्ट के दखल की ज़रूरत है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इस बारे में रिपोर्ट तलब की है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि दिल्ली के अंदर और बाहर इस तरह के गैंग से निपटने के लिए उसकी ओर से क्या कदम उठाये जा रहे है.
अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट 21 अप्रैल को दोबारा से सुनेगी.