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जस्टिस केवी विश्वनाथन डीएमआरसी-एयरपोर्ट मेट्रो मामले में अवमानना याचिका की सुनवाई से अलग हुए

जस्टिस केवी विश्वनाथन ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) से जुड़ी अवमानना याचिका से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

सुप्रीम कोर्ट, जस्टिस केवी विश्वनाथन

Written by My Lord Team |Updated : November 20, 2024 9:32 AM IST

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के वी विश्वनाथन ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) और अनिल अंबानी समूह के रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के बीच विवाद से जुड़े मामले में अवमानना याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. शीर्ष अदालत के 2021 के फैसले में, दिल्ली मेट्रो के साथ विवाद में अनिल अंबानी समूह की कंपनी को 8,000 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था. अदालत ने 2021 के फैसले को इस साल 10 अप्रैल को खारिज कर दिया था और अनिल अंबानी समूह की कंपनी को पहले से प्राप्त लगभग 2,500 करोड़ रुपये वापस करने को कहा था.

जस्टिस केवी विश्वनाथन ने खुद को सुनवाई से किया अलग

पिछले सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल के फैसले की अवमानना ​​का आरोप लगाने वाली याचिका जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई. तब, जस्टिस विश्वनाथन ने कहा किमैं इस पर सुनवाई नहीं कर सकता. शीर्ष अदालत ने कहा था कि पिछले फैसले से एक सार्वजनिक परिवहन प्रदाता के साथ ‘घोर अन्याय’ हुआ है, जो अत्यधिक देनदारी के बोझ तले दब गया है. सुप्रीम कोर्ट  ने 2021 के फैसले के खिलाफ डीएमआरसी की ‘क्यूरेटिव’ याचिका को स्वीकार करते हुए कहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ का आदेश बखूबी सोच-विचार कर लिया गया निर्णय था और अदालत के लिए इसमें हस्तक्षेप करने का कोई वैध आधार नहीं था.

क्या है डीएमआरसी-एयरपोर्ट मेट्रो मामला?

मध्यस्थता निर्णय के अनुसार, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर समूह की कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) रियायत समझौते के अनुसार 2,782.33 करोड़ रुपये और ब्याज पाने की हकदार है. वहीं, 14 फरवरी 2022 तक यह राशि बढ़कर 8,009.38 करोड़ रुपये हो गई. शीर्ष अदालत ने 9 सितंबर 2021 को डीएमआरसी के खिलाफ लागू होने वाले 2017 के मध्यस्थता निर्णय को बरकरार रखा और कहा था कि अदालतों द्वारा ऐसे निर्णयों को दरकिनार करने की प्रवृत्ति परेशान करने वाली है. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें डीएएमईपीएल के पक्ष में मध्यस्थता निर्णय को निरस्त किया गया था, जिसने सुरक्षा कारणों को लेकर एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन संचालित करने के समझौते से अपना हाथ खींच लिया था. बाद में 23 नवंबर 2021 को शीर्ष अदालत ने 9 सितंबर 2021 के अपने फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने वाली डीएमआरसी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है. इस आदेश से व्यथित होकर, डीएमआरसी ने पुनर्विचार याचिका खारिज होने के खिलाफ 2022 में शीर्ष अदालत में अंतिम कानूनी उपाय के तहत एक ‘क्यूरेटिव’ याचिका दायर की थी.

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