अदालत की लंबी कार्यवाही और लंबी छुट्टियों को लेकर आम जनों को अक्सर शिकायत रहती है. लोगों को ये शिकायत अपने काम में देरी होने से रहती है. लेकिन वे अक्सर यह भूल जातें है कि अदालतों में मामलों की संख्या कितनी ज्यादा होती है, कितना दबाव होता है. सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान जज साहब ने इस बात पर दुख जताया. जज साहब ने कहा कि हमें शनिवार और रविवार को भी छुट्टी नहीं मिलती है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जज साहब से हमदर्दी जताई और सांत्वना भी दिया. एसवी राजू ने कहा कि जो लोग कोर्ट की छुट्टियों की आलोचना करते हैं, उन्हें पता नहीं है कि जज कैसे काम करते हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य की अनुमति के बिना हो रही सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई हो रही थी.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच पश्चिम बंगाल से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी. अदालत ने सुनवाई पूरी करने के लिए बृहस्पतिवार का दिन तय किया गया. अदालत ने दोनों पक्षों से गुजारिश की. गर्मियों की छुट्टी 18 मई से शुरू होने वाली है. इससे पहले ही मामले में दलीलें पूरी हो जाएं जिससे वे छुट्टियों में अपना जजमेंट लिख सकें.
जज साहब के इस बात पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,
"जो लोग हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की लंबी छुट्टियों की आलोचना करते हैं, वे नहीं जनते कि जज कितना काम करते हैं."
जस्टिस गवई ने जवाब दिया,
"जो लोग आलोचना करते हैं, वे नहीं जानते कि हमारे पास वाकेंड (शनिवार और रविवार) की भी छुट्टियां नहीं होती है. कई समारोहों और सम्मेलनों की भी तैयारी करनी होती है. शुक्र है आईपैड का जिसकी वजह से हम केस को फ्लाइट्स में भी पढ़ सकते हैं."
पश्चिम बंगाल की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी जज साहब से सहमति जताई. कपिल सिब्बल ने कहा, "यह देश का सबसे कठिन काम है."
जस्टिस गवई ने कहा,
"थैंक गॉड अब मैं एक सीनियर जज हूं और मुझे छुट्टियों पर बैठना नहीं पड़ता है."
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में गर्मियों की छुट्टी 18 मई से लेकर 7 जुलाई तक होने की संभावना है.