आज सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) एमएलसी सुनील सिंह की बिहार विधान परिषद से निष्कासन के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह में विधान परिषद कार्यलय से जवाब की मांग की है. राजद एमएलसी सुनील सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के चलते उन्हें विधान परिषद की सदस्यता खारिज कर दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले में कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है. सिंह की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने आशीष शेलार बनाम महाराष्ट्र विधानसभा का हवाला दिया है.
सिंघवी ने कहा कि वर्तमान मामले में निष्कासन है. शेलार के मामले में शीर्ष अदालत ने 12 भाजपा विधायकों को निलंबित करने के महाराष्ट्र विधानसभा के प्रस्ताव को रद्द कर दिया था. इसने माना कि राज्य विधानमंडल की शक्तियों और विशेषाधिकारों का प्रयोग करने के लिए बनाए गए नियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के अर्थ में कानून का गठन करते हैं. मैं यह नहीं कह रहा कि वह सही हैं. अब, वह इसे सदन में प्रकाशित करते हैं, जो अधिक संरक्षित है.”
कथित घटना इस फरवरी में हुए बजट सत्र के दौरान राजद एमएलसी सुनील सिंह पर आरोप लगा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पलटूराम कहना और उनकी नकल किया. जिसके बाद विधानसभा आचार समिति की सिफारिश के आधार पर सुनील सिंह विधान परिषद से निष्कासित कर दिया गया है.
समिति ने फैसले में कहा,
“विपक्ष के मुख्य सचेतक के रूप में, उनकी विधायी जिम्मेदारी सदन की नीतियों, नियमों और संवैधानिक प्राधिकार के प्रति अधिक होनी चाहिए. लेकिन उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार में इसका पालन नहीं किया. सदन के वेल में आने और अनर्गल नारे लगाने, सदन को बाधित करने, अध्यक्ष के निर्देश की अवहेलना करने और अपमानजनक और असभ्य शब्दों का उपयोग करके सदन के नेता को अपमानित करने के उनके प्रयासों ने उच्च सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है.”
बिहार विधान परिषद की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली के नियम 290 के खंड 10 (घ) के तहत समिति डॉ. सुनील कुमार सिंह को बिहार विधान परिषद की सदस्यता से मुक्त करती है.
राजद एमएलसी ने समिति के इसी फैसले को चुनौती दी है.