शुक्रवार (05 अप्रैल, 2024) के दिन सुप्रीम कोर्ट ने दलित और वुमेन राइट्स एक्टिविस्ट शोमा सेन को जमानत दे दी है. शोमा सेन को भीमा कोरेगांव मामले में देश विरोधी गतिविधियों (UAPA) में गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने शोमा सेन को सशर्त जमानत दी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान NIA ने भी शोमा सेन की जमानत का विरोध नहीं किया है. बता दें कि शोमा सेन को साल 2018 में भीमा कोरेगांव हिंसा के चलते हुए गिरफ्तार किया था.
शोमा सेन की जमानत याचिका पर जस्टिस अनिरूद्ध बोस और जस्टिस ऑगस्टीन जार्ज मसीह की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. जमानत याचिका पर बहस के दौरान NIA ने बताया कि उन्हे शोमा सेन के कस्टडी की जरूरत नहीं है. साथ ही इस राहत में यूएपीए की कड़े प्रावधानों के तहत जमानत में कड़ी शर्तें लागू नहीं होंगीं. लेकिन बेंच ने जमानत देने में जो शर्ते लगाई हैं, वे भी आसान नहीं है.
बेंच ने कहा,
" यूएपीए की धारा 43 (D) (5) के तहत प्रावधानों के तहत लगे प्रतिबंध याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होंगे. हमने नोट किया है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (जो एनआईए की ओर से पेश हुए) ने कहा कि हिरासत की अब आवश्यकता नहीं है."
बेंच ने आगे कहा,
"हम देख रहे हैं कि उनकी उम्र अधिक है और मुकदमे के ट्रायल में देरी भी हो रही है.. साथ ही स्वास्थ्य स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए."
सुप्रीम कोर्ट ने शोमा सेन को जमानत देते हुए शर्ते भी लगाई हैं. वे शर्ते भी इस प्रकार है..
अगर ये शर्ते किसी प्रकार से तोड़ी जाएंगी, तो याचिकाकर्ता की जमानत रद्द की जा सकती हैं.
शोमा सेन को 6 जून, 2018 को देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. शोमा सेन ने बेल की मांग की. शोमा ने सेशन कोर्ट में चार्जशीट से पहले और चार्जशीट दायर होने के बाद बेल की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने दोनों ही बार बेल देने से मना कर दिया था. इसके बाद इस मामले की जांच NIA को सौंप दी गई थी और सुनवाई NIA की स्पेशल कोर्ट को भेज दी गई. शोमा सेन को NIA कोर्ट से भी जमानत नहीं मिली. वहींं, पिछले साल, जनवरी में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने के निर्देश दिए है. अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य की स्थिति और उम्र को ध्यान में रखते हुए शोमा सेन को सशर्त जमानत दे दी है.