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3000 लोग निर्विरोध कैसे जीत सकते हैं? पंजाब पंचायत चुनाव परिणाम से SC ने जताई हैरानी

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में 13,000 पंचायत पदों में से 3,000 निर्विरोध उम्मीदवारों के चुने जाने पर चिंता व्यक्त की और इसे बहुत अजीब बताया है.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : November 19, 2024 5:38 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस तथ्य को ‘बहुत विचित्र’ बताया कि पंजाब में हाल में हुए चुनावों में 13,000 पंचायत पदाधिकारियों में से 3,000 निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. अदालत ने असंतुष्ट उम्मीदवारों को चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति दे दी. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को खारिज करने और अन्य चुनावी अनियमितता का आरोप लगाने संबंधी याचिका पर पहले नोटिस जारी किए थे.  पीठ ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति निर्वाचन आयोग के समक्ष चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और आयोग को छह महीने में उन पर फैसला करना होगा.

पंजाब में 13,000 पदों में से 3,000 निर्विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए या फाड़ दिए गए, वे भी अपनी शिकायतें लेकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जा सकते हैं. अदालत ने कहा कि उनकी याचिकाओं को सीमा अवधि के उल्लंघन के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाओं को गुण-दोष के आधार पर निपटाया जाना चाहिए.

अदालत ने कहा,

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“हम याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति देते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग छह महीने में याचिकाओं पर फैसला करेगा, देरी होने पर याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय जा सकते हैं.”

आदेश में कहा गया है,

"जिन लोगों के नामांकन खारिज कर दिए गए या कागजात फाड़ दिए गए, वे कानून के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष समीक्षा याचिका दायर कर सकते हैं... यदि उच्च न्यायालय में उनकी याचिका खारिज कर दी जाती है तो याचिकाकर्ताओं को इस अदालत में आने का अधिकार है.”

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, जब न्यायालय को बताया गया कि पंचायत के 13,000 से अधिक पदों में से 3,000 पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, तो प्रधान न्यायाधीश ने आश्चर्य व्यक्त किया.

सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा,

“यह बहुत अजीब है! मैंने ऐसे आंकड़े कभी नहीं देखे... यह बहुत बड़ी संख्या है."

एक वकील ने दावा किया कि चुनाव के दौरान एक उम्मीदवार का चुनाव चिह्न हटा दिया गया था. शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि उच्च न्यायालय ने सैकड़ों याचिकाओं को प्रभावित पक्षों का पक्ष उचित तरीके से सुने बिना खारिज कर दिया. पीठ ने 18 अक्टूबर को सुनीता रानी और अन्य द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 15 अक्टूबर को हुए पंचायत चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था.