नई दिल्ली: Supreme Court ने राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों के चुनावों में ओपन बैलेट सिस्टम को समाप्त करने हुए गुप्त मतदान की अनुमति देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को लोकप्रहरी एनजीओ की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि “क्रॉस वोटिंग को रोकने और पार्टी अनुशासन बनाए रखने” के लिए खुली मतदान प्रणाली की आवश्यकता है.
एनजीओ ने चुनाव संचालन नियमों के नियम 39एए को इस आधार पर चुनौती दी कि अगर कोई विधायक या सांसद अपना चिन्हित मतपत्र पार्टी के पोलिंग एजेंट को नहीं दिखाता है तो उसका वोट रद्द कर दिया जाता है.
याचिका में कुलदीप नैय्यर के फैसले का जिक्र करते हुए कहा गया कि इस फैसले में इस पहलू की जांच की गई थी और संविधान पीठ ने माना था कि संशोधन के बाद, परिषद के लिए मतदान में भारी बदलाव आया है, जहां गुप्त मतदान को खुले मतदान से बदल दिया गया है.
जनहित याचिका में एनजीओं की ओर से चुनाव संचालन नियम, 1961 के एक प्रावधान और जनप्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम के एक हिस्से को चुनौती दी गई थी, चुनाव नियमों के संचालन का नियम 39AA राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों के चुनावों में एक विधायक और एक सांसद के लिए एक राजनीतिक दल के मतदान एजेंट को चिह्नित मतपत्र दिखाना अनिवार्य बनाता है.
याचिका में “आरपी अधिनियम की धारा 33 की धारा 1 की उप-धारा” को भी चुनौती दी गयी थी.जिसमें कहा गया है राज्यसभा और राज्य विधान परिषद चुनावों के उम्मीदवार होने के लिए, एक व्यक्ति, यदि किसी राजनीतिक दल द्वारा प्रस्तावित नहीं किया जाता है, तो उसे 10 निर्वाचित सदस्यों द्वारा सदस्यता लेने की आवश्यकता होती है.
“आरपी अधिनियम की धारा 33 की धारा 1 की उप-धारा … परंतुक यह निर्धारित करता है कि एक उम्मीदवार जो किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल द्वारा खड़ा नहीं किया गया है, उसे चुनाव के लिए विधिवत नामांकित नहीं माना जाएगा जब तक कि नामांकन पत्र द्वारा सदस्यता नहीं ली जाती है जिसमें जिस निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया है वहां के 10 प्रस्तावक ना हो.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला पुरी तरह से विधायी नीति के दायरे में है.
पीठ ने कहा कि इन प्रावधानों में कुछ भी भेदभावपूर्ण नहीं है. संसद नामांकन को प्रस्तुत करने के तरीके को विनियमित करने की हकदार है.