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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, भ्रष्टाचार मामले में जारी रहेगी जांच

कुमारस्वामी ने दो भूखंडों की अधिसूचना निरस्त करने से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में चल रही जांच की कार्यवाही पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार किया है.

Supreme court, Kumaraswamy

Written by Satyam Kumar |Published : February 27, 2025 6:50 PM IST

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कुमारस्वामी ने दो भूखंडों की अधिसूचना निरस्त करने से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में चल रही जांच की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी. इस मामले में आरोप है कि कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान, दो भूखंडों की अधिसूचना रद्द की गई थी ताकि आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने जांच के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.

कुमारस्वामी को SC से राहत नहीं

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के नौ अक्टूबर 2020 के आदेश के खिलाफ कुमारस्वामी (जो अब केंद्रीय मंत्री हैं) की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. पिछली सुनवाई में,शीर्ष अदालत ने 18 जनवरी 2021 को कुमारस्वामी की याचिका पर शिकायतकर्ता और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया था. कर्नाटक सरकार ने कुमारस्वामी के खिलाफ जांच रखने का मांग करते हुए रोक लगा दी है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में उनके खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था. वरिष्ठ अधिवक्ता हरीन रावल और अतिरिक्त महाधिवक्ता अमन पंवार कर्नाटक राज्य की ओर से पेश हुए और सुप्रीम कोर्ट में कुमारस्वामी की याचिका का विरोध किया.

क्या है मामला?

यह मामला एम.एस. महादेव स्वामी द्वारा बेंगलुरू में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विशेष न्यायाधीश के समक्ष दायर एक निजी शिकायत से संबंधित है, जिसमें कुमारस्वामी और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जून 2006 से अक्टूबर 2007 के बीच कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान, बेंगलुरु दक्षिण तालुक के उत्तरहल्ली होबी के हलगेवदेरहल्ली गांव में दो भूखंडों की अधिसूचना रद्द कर दी गई थी, ताकि आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सके.

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कुमारस्वामी अब केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री हैं. उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार के माध्यम से दलील दी कि 2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19(1)(बी) में किए गए संशोधन के मद्देनजर मंजूरी की आवश्यकता थी, भले ही याचिकाकर्ता उस समय पद पर नहीं थे, जब संज्ञान लिया गया था. उन्होंने कहा कि धारा 19 के तहत मंजूरी प्राप्त किए बिना कोई संज्ञान नहीं लिया जाना चाहिए था और उच्च न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत दायर याचिका को खारिज करके गलती की. बता दें कि उच्च न्यायालय ने कुमारस्वामी के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.