सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा केस में घोष का कोई लोकस नहीं और मामले की जांच सीबीआई कर रही. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के तौर पर जनहित याचिका (PIL) में पक्षकार नहीं बन सकते है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने संदीप घोष की याचिका खारिज की. शीर्ष अदालत ने कहा कि संदीप घोष के पास वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. इस बीच घोष के वकील ने अदालत को बताया कि वह सीबीआई द्वारा जांच के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताई है. घोष के वकील ने कहा कि उन्हें आरजी कर बलात्कार की घटना से जोड़ना अन्याय है. शीर्ष अदालत ने कहा कि जब घटनाएं हुई तब घोष आरजी कर कॉलेज के प्रिंसिपल थे. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश देते हुए जांच एजेंसी से जांच की रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 24 अगस्त को कथित भ्रष्टाचार मामले में घोष के खिलाफ सीबीआई ने आधिकारिक एफआईआर दर्ज की थी. भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई जांच के बीच कोलकाता के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी पूर्व संदीप घोष की सदस्यता निलंबित कर दी थी. 26 अगस्त को सीबीआई ने संस्थान में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले की जांच के तहत डॉ. घोष पर पॉलीग्राफ टेस्ट का दूसरा दौर भी पूरा किया है. इससे पहले शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में कोलकाता के अन्य स्थानों के अलावा आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के आवास पर छापेमारी की थी. ईडी ने वित्तीय अनियमितताओं के मामले में संदीप घोष के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया था। घोष वर्तमान में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं.