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Supreme Court ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ शिकायत नहीं होने पर भी मामला दर्ज करने का दिया निर्देश

हमारे कानून में कोई ऐसा भाषण देना जिससे समाज में दंगा भड़क सकता है या नफरत फैल सकता है तो अपराध माना जाएगा. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि इस बहुत गंभीर विषय पर कार्रवाई करने में प्रशासन की ओर से देरी को अदालत की अवमानना माना जाएगा.

Supreme Court on Hate Speech

Written by My Lord Team |Published : April 29, 2023 12:52 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2022 के एक आदेश का दायरा तीन राज्यों से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया, भले ही कोई शिकायत न की गई हो.

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, न्यायमूर्ति के एम जोसफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने शुक्रवार को नफरत फैलाने वाले भाषणों को ‘‘गंभीर अपराध बताया, जो देश के धार्मिक ताने बाने को नुकसान पहुंचा सकते हैं.’’

धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए

पीठ ने कहा कि उसका 21 अक्टूबर, 2022 का आदेश सभी क्षेत्रों के लिए प्रभावी रहेगा. उसने चेतावनी दी कि मामले दर्ज करने में किसी भी देरी को अदालत की अवमानना माना जाएगा. शीर्ष अदालत ने पहले उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड को निर्देश दिया था कि घृणा फैलाने वाले भाषण देने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए.

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तब न्यायालय ने कहा था, ‘‘धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गये हैं?’’ पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘‘न्यायाधीश अराजनीतिक होते हैं और पहले पक्ष या दूसरे पक्ष के बारे में नहीं सोचते और उनके दिमाग में केवल एक ही चीज है - भारत का संविधान.’’

शीर्ष अदालत की चेतावनी

समाचार एजेंसी भाषा की माने तो,  शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि इस बहुत गंभीर विषय पर कार्रवाई करने में प्रशासन की ओर से देरी को अदालत की अवमानना माना जाएगा. शीर्ष अदालत का यह आदेश पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की याचिका पर आया है जिन्होंने शुरू में पहले दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.

अब्दुल्ला ने शीर्ष अदालत के 21 अक्टूबर, 2022 के आदेश को सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने का अनुरोध करने के लिए पुन: याचिका दाखिल की.