Patanjali Misleading Ad Case: बीते दिन यानि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आयुष मंत्रालय को भ्रामक दवाओं के विज्ञापनों की शिकायतों से निपटने के निर्देश दिए हैं. भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी शिकायतों को निपटने के लिए आयुष मंत्रालय को अपने अधिकारिक वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड बनाने के निर्देश दिए हैं. डैशबोर्ड में भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी शिकायतें और उस पर लिए एक्शन की जानकारी दर्शाने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि उनका मानना है कि आयुष मंत्रालय को राज्यों से प्राप्त शिकायतों और उन शिकायतों पर की गई कार्रवाई का उल्लेख करते हुए एक डैशबोर्ड स्थापित करना चाहिए.
कोर्ट ने आगे कहा कि इससे डेटा सभी उपभोक्ताओं के लिए सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हो जाएगा. कोर्ट ने आगे कहा कि डैशबोर्ड ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कार्रवाई के पहलू को संबोधित करने में मदद करेगा.
कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी शिकायतों से संबंधित डेटा की अनुपलब्धता पर ध्यान दिया और कहा कि ऐसी चीजें उपभोक्ताओं को असहाय बनाती हैं और वे शिकायतों पर की गई कार्रवाई के बारे में अंधेरे में रहते हैं.
शीर्ष अदालत ने शिकायतों के केंद्रीकृत रूटिंग की मजबूत आवश्यकता पर एमिकस द्वारा दिए गए सुझाव पर भी ध्यान दिया.
सर्वोच्च न्यायालय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMD) की उस याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा के संबंध में झूठे और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई थी.
याचिका में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ गुमराह करने, गलत सूचना देने और बदनामी फैलाने के अभियान का मुद्दा भी उठाया गया है. अपनी याचिका में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रवर्तकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पर भ्रामक विज्ञापनों के आरोप भी लगाए हैं. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद द्वारा भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में बिना शर्त माफी मांगी थी और कहा था कि वे हमेशा कानून और न्याय की गरिमा को बनाए रखने का वचन देते हैं.