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PMLA संशोधन के खिलाफ जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय शीघ्र सुनवाई हेतु सहमत

शीर्ष अदालत ने 2018 में जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने के बाद 15 फरवरी, 2019 को केंद्र से चार दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था

Written by My Lord Team |Published : July 21, 2023 4:03 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय भ्रष्टाचार विरोधी कानून के उस प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर बृहस्पतिवार को सहमत हो गया, जिसमें भ्रष्टाचार के मामले में किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए पूर्व मंजूरी अनिवार्य की गई है.

न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण के इन अभ्यावेदनों का संज्ञान लिया कि जनहित याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि इस मामले में नोटिस 26 नवंबर, 2018 को जारी किया गया था.

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संशोधित धारा 17ए (1) की वैधता को चुनौती

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सुनवाई की तारीख को पहले निर्धारित किया जाएगा.’’ शीर्ष अदालत ने 2018 में जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने के बाद 15 फरवरी, 2019 को केंद्र से चार दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था और उसके बाद याचिका को किसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध नहीं किया गया.

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि जनहित याचिका दायर करने वाला गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) केंद्र द्वारा अपना जवाब दाखिल करने के एक सप्ताह के भीतर अपना प्रत्युत्तर दाखिल कर सकता है. याचिका में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संशोधित धारा 17ए (1) की वैधता को चुनौती दी गई है.