नई दिल्ली: Orissa High Court ने SC/ST Act से जुड़े अपराध को लेकर एक महत्वूपर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि किसी झगड़े के दौरान जाति के नाम के साथ अचानक गाली देना SC/ST Act के तहत अपराध नहीं होगा.
Justice R K पटनायक की एकलपीठ ने इसे और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत किए जाने वाले अपराध के लिए अपराधी द्वारा जाति के आधार पर पीड़ित का अपमान करने या अपमानित करने का इरादा होना चाहिए.
उड़ीसा हाईकोर्ट यह आदेश भुवनेश्वर के खुरदा सेशन जज की ओर से दिए आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिए है.
सेशन कोर्ट ने 30 मार्च 2021 को दिए प्रसंज्ञान आदेश में पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ SC/ST Act की धारा 3 के तहत लगाए गए आरोप को लेकर हुए प्रसंज्ञान लिया था.
याचिकाकर्ता व एक अन्य ने सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता व एक अन्य के खिलाफ एफआईआर में दर्ज SC/ST Act की धाराओं को रद्द कर दिया, लेकिन IPC के तहत मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए अन्य आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया.
IPC की इन धाराओं के तहत याचिकाकर्ता व अन्य पर चोट पहुंचाना और आपराधिक धमकी देना शामिल था.
हाईकोर्ट ने कहा जाति के आधार पर अपमान करने के इरादे के बिना किसी झगड़े के दौरान जाति के नाम के साथ अचानक गाली देना इस अधिनियम के तहत अपराध नही है.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हितेश वर्मा बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में दिए गए फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अधिनियम के तहत एक अपराध तब तक स्थापित नहीं किया जाएगा जब तक पीड़ित को उसकी जाति के आधार पर अपमानित करने का कोई इरादा नहीं रखा गया हो.
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी को उसकी जाति के नाम के साथ गाली दी जाती है, या किसी घटना के दौरान अचानक जाति का उच्चारण किया जाता है, तो यह निर्धारित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि यह SC/ST Act के तहत अपराध है.
मामले के अनुसार वर्ष 2017 में याचिकाकर्ता और दो अन्य लोगो के बीच हो झगड़े में बीच बचाव करने पहुंची एक महिला को याचिकाकर्ता व एक व्यक्ति ने जातिसूचक शब्द कहें, जिस समय पहले से एक घटना हो रही थी.
याचिकाकर्ता के साथ विवाद में शामिल दो में से एक व्यक्ति में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद चार्जशीट पेश की.
पुलिस ने IPC की धारा 241, 294, 323 and 506 के साथ सपठित धारा 34 और SC/ST Act की धारा 3(1)(r)(s) और 3(2)(va) में चार्जशीट पेश की.
इस मामले में बीच बचाव करने आई पीड़ित महिला ने जातिसूचक शब्द कहने को लेकर कोई मामला दर्ज नहीं कराए जाने के बावजूद पुलिस ने SC/ST Act की धारा भी जोड़ दी.