एनसीपी चुनाव चिन्ह (NCP Election Symbol) का मामला मंलवार (13 फरवरी, 2024) के दिन सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. पार्टी के संस्थापक शरद पवार (Sharad Pawar) ने केन्द्रीय चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने अजीत पवार गुट (Ajit Pawar Faction) असली एनसीपी मानते हुए पार्टी का नाम, झंड़ा और सिंबल दिया है. शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दिए कैविएट (Caveat) में ये बात कही. इलेक्शन कमीशन ने जिस गुट को पार्टी चुनाव चिन्ह दिया है, वे असली एनसीपी (Real NCP) नहीं है. कैविएट में शरद पवार ने खुद को असली एनसीपी बताया.
शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटिल (Jayant Patil) ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. हम एनसीपी के सिंबल इस्तेमाल पर रोक (स्थगण) लगाने पर सफल होंगे. चुनाव आयोग का फैसला सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकनेवाला है. हमारे नेता शरद पवार ने 25 साल पहले एनसीपी की स्थापना की है. उनके नेतृत्व में पार्टी ने 28 राज्यों में अपनी पहचान बनाई है.
शरद पवार और अजीत पवार के पार्टी पर अपनी-अपनी दावेदारी ले चुनाव आयोग के पास पहुंचे. चुनाव आयोग अपने समक्ष रखे गए तर्कों को सुनने के बाद अजीत पवार गुट के पक्ष में फैसला सुनाया. आयोग ने अजीत पवार गुट को एनसीपी पार्टी का नाम, झंड़ा और सिंबल के प्रयोग करने की इजाजत दे दी है. केन्द्रीय चुनाव आयोग ने ये फैसला 6 फरवरी, 2024 के दिन ये फैसला दिया है.
एनसीपी पार्टी की सिंबल की लड़ाई में अजीत पवार गुट को बड़ी जीत मिली है. इलेक्शन कमीशन ने अजीत पवार को पार्टी सिंबल के प्रयोग करने की इजाजत दे दी है. सिंबल मिलने के बाद अजीत पवार ने प्रेस कांफ्रेंस कर चुनाव आयोग का अभिवादन करते हुए कहा था. हम न्याय पाने के लिए चुनाव आयोग में गए थे. हमने अपनी मांग के लिए वाजिब तर्क रखें. जिसे चुनाव आयोग ने मान लिया है. और हमें पार्टी का नाम, झंड़ा और सिंबल 'घड़ी' के प्रयोग करने की इजाजत मिली है.