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'Mumbai Local में जानवरों की तरह लोगों को सफर करते देखना शर्मनाक है', बॉम्बे HC ने स्थिति को चिंताजनक बताया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल रेल सेवा में यात्रियों को जानवरों की तरह यात्रा करने के लिए मजबूर होते देखना शर्मनाक है.

मुंबई लोकल ट्रेन की एक झलक

Written by Satyam Kumar |Published : June 27, 2024 6:54 PM IST

Mumbai Local Train: हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल रेल सेवा में यात्रियों को जानवरों की तरह यात्रा करने के लिए मजबूर होते देखना शर्मनाक है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधकों से व्यक्तिगत तौर पर हलफनामे को बताने को कहा है. वहीं सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास से समस्या से निपटने में सहायता करने की मांग है. भीड़भाड़ वाली रेलगाड़ियों से गिरने या पटरियों पर अन्य दुर्घटनाओं के कारण यात्रियों की मौतों की बढ़ती संख्या को लेकर दाखिल PIL पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि इस बहुत गंभीर मुद्दे से निपटा जाना चाहिए.

बॉम्बे हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने जनहित याचिका (PIL) पर करते हुए उक्त टिप्पणी की. याचिका में रेलवे यात्रा के दौरान होने वाली मौतें पर ध्यान देने को कहा गया है.

बेंच ने कहा,

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"आप इतने कहकर ही खुश नहीं हो सकते कि मुंबई लोकल में करीब 33 लाख लोगों को यात्रा कराते हैं. आप यात्रियों की संख्या देखकर नहीं कह सकते हैं कि आप अच्छा कर रहे हैं. आपको अपनी रवैया और मानसिकता बदलनी होगी."

अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से स्थिति को निपटने में सहायता देने की कोशिश की है. वहीं, सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधकों को व्यक्तिगत तौर हलफनामा दायर कर समस्या से छुटकारा के लिए उपायों को बताने को कहा है.

याचिकाकर्ता ने क्या मांग की है?

विरार निवासी यतिन जाधव ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की. याचिका में रेलवे प्रणालीगत ढांचे को उच्च मृत्यु दर का कारण बताया गया है. याचिकाकर्ता ने बताया कि मरने वाले में लगभग 5 मौतें कॉलेज छात्रों या काम पर जाने वाले मजदूरों की होती है.

याचिकाकर्ता ने बताया,

"कॉलेज आना या काम पर जाना किसी युद्ध में जाने जैसा है. यहां युद्ध पर जाने वाले की संख्या ड्यूटी पर तैनात सैनिंकों से कहीं ज्यादा है."

याचिकाकर्ता ने इस स्थिति को में सुधार की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने निर्देश देने की मांग की है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अधिकारियों से 11 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है.  अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी.