नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती संघ (WFI) प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 17 साल की एक नाबालिग पहलवान पर कई बार यौन अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस में एफआईआर दर्ज कराया गया है. समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार दर्ज एफआईआर में पीड़िता ने प्रताड़ना के आरोपों के बारे में विस्तार से बताया हैं.
जानिए एफआईआर की मुख्य बातें
1. FIR में पीड़िता ने आरोप लगाया है कि आरोपी (बृजभूषण शरण सिंह) ने उसके साथ फोटो लेने के बहाने उसे कसकर पकड़ रखा था.
2. लड़की ने कहा कि सिंह उसे अपनी ओर खींचा और उसके कंधे पर बहुत जोर से दबाया और फिर जानबूझकर अपना हाथ उसके कंधे के नीचे खिसका दिया और उसके स्तनों पर हाथ फेरते हुए कहा, तू मेरे को सपोर्ट कर, मैं तेरे को सपोर्ट करूंगा, मेरे साथ टच में रहना.
3. पीड़िता के पिता की माने तो यह घटना 2022 की है, जब वह 16 साल की थी. उसने राष्ट्रीय खेलों में सब जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लिया था.
4. प्राथमिकी में आगे उल्लेख किया गया है कि जब पीड़िता ने सिंह का कड़ा विरोध किया, तो उसने उससे कहा कि एशियाई चैम्पियनशिप के लिए जल्द ही ट्रायल होने वाले हैं, और चूंकि वह उसके साथ सहयोग नहीं कर रही है, इसलिए उसे आगामी ट्रायल में नतीजे भुगतने होंगे.
5. आरोपी ने पीड़िता को अपने कमरे में बुलाया, करियर बर्बाद होने के दबाव में आकर पीड़िता उसके कमरे में गई. वहां आरोपी उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संपर्क बनाने की कोशिश करने लगा. पीड़िता सहम गई और तुरंत आरोपी के चंगुल से खुद को छुड़ाकर कमरे से बाहर भाग गई.
6. शिकायतकर्ता ने अपनी बात साबित करने के लिए बताया कि मई 2022 में एशियाई चैंपियनशिप के लिए ट्रायल हो रहे थे जहां सिंह ने उसके साथ भेदभाव किया.
ट्रायल्स में यह सामान्य प्रथा है कि जो भी एथलीट पिछले बाउट या राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतता है, उसे ट्रायल में वरीयता दी जाती है. पीड़िता को वरीयता देना तो दूर, उसके भार वर्ग के सभी मजबूत दावेदार/एथलीट को उसी के ग्रुप में डाल दिया गया. ट्रायल पूरी तरह से प्रचलित प्रथा के विपरीत था जिसमें मजबूत एथलीटों को हमेशा अलग-अलग समूहों में रखा जाता है ताकि उनके पास ट्रायल में जगह हासिल करने का बेहतर मौका हो ताकि भारत का प्रतिनिधित्व सबसे मजबूत एथलीटों द्वारा किया जा सके.
7.FIR के अनुसार, ट्रायल के दौरान स्थापित मानदंडों का उल्लंघन किया गया. यह कहा गया था कि रेफरी या मैट चेयरमैन उस राज्य से नहीं होंगे जिस राज्य के एथलीट हैं. हालांकि, उसके मामले में प्रतिद्वंद्वी एथलीट दिल्ली से थी और रेफरी तथा मैट चेयरमैन दोनों दिल्ली से ही थे, जो निर्धारित दिशानिर्देशों का खंडन करता है.
8. प्राथमिकी के अनुसार, इस भेदभावपूर्ण व्यवहार पर पीड़िता ने तुरंत आपत्ति जताई. लेकिन उसे अल्टीमेटम दिया गया कि या तो वह मैच जारी रखे या विरोधी एथलीट को वाकओवर दे दिया जाएगा.
9.एफआईआर में कहा गया है कि ट्रायल के दौरान, रेफरी और मैट चेयरमैन ने जानबूझकर पीड़िता के प्वाइंट काटे, जब भी वह कोई अंक हासिल करती थी, तो वे दावा करते थे कि घड़ी पहले ही बंद हो चुकी थी, और उसे प्वाइंट नहीं देते थे, हालांकि ऐसा नहीं था.
10. शिकायतकर्ता ने प्राथमिकी में दावा किया, ट्रायल के दौरान मैचों को रिकॉर्ड किया जाना था, फिर भी उसके परीक्षण के दौरान, रिकॉडिंग को बार-बार चालू और बंद करके हेरफेर किया गया था. यह काम आरोपी के निर्देश पर किया गया था, क्योंकि पीड़िता ने उसके अवांछित यौनाचारों को अस्वीकार कर दिया था.
11. एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है, जब पीड़िता लखनऊ ट्रायल में प्रैक्टिस कर रही थी, तब आरोपी फिर से पीड़िता के पास आया और उससे कहा 'पर्सनली आकर मिलना.'
पीड़िता ने आरोपी को साफ-साफ कहा कि वह पहले भी कह चुकी है कि वह किसी तरह के शारीरिक संबंध में बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं है और उसे उसका पीछा करना बंद कर देना चाहिए तथा ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए जिसमें अश्लील और यौन इशारे छिपे हों.
पीड़िता के पिता की ओर से सिंह के खिलाफ कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354A (यौन उत्पीड़न), 354D (पीछा करना) और 34 (सामान्य मंशा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. सिंह के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.