अक्सर आप बैंक से पैसे कटने की शिकायत सुनते होंगे. शिकायत में बैंक अधिकारियों की कठोरता और पैसे वापस मिलने की न के बराबर की संभावना का जिक्र अवश्य ही रहा होगा, लेकिन इस मामले में कुछ अलग हुआ. व्यक्ति के सेविंग्स अकाउंट से 2.6 लाख रूपये कट गए थे और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने, जिसमें व्यक्ति का खाता था, पैसे लौटाने से इंकार कर दिया. बैंक व्यक्ति को भी यह कहकर टालने की कोशिश कि पैसे आपके ओटीपी देने के बाद दी कटे होंगे. बैंक की ओर से किए गए दावों में उलझने की बजाय व्यक्ति ने इस मामले की शिकायत बैंक लोकपाल, जिसे बैंक ओम्बुड्समैन भी कहा जाता हैं, से की थी. लोकपाल के फैससे SBI ने इसे मानने से इंकार किया और उसके बाद ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक गई. आइये जानते हैं कि दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से क्या कहा....
कस्टमर हरे राम सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट को घटना बताते हुए कहा कि पैसे कटते ही उसने तुरंत एसबीआई ग्राहक सेवा और उसके शाखा प्रबंधक से संपर्क किया, लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली. वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने घटना के दो महीने बाद सिंह के दावे को खारिज कर दिया और दो कारण दिए,
हरे राम सिंह ने इस दावे को स्वीकार करने से मना करते हुए कहा कि उसने ओटीपी किसी से साझा नहीं की थी.
जस्टिस धर्मेश शर्मा ने एसबीआई के जबाव से असंतुष्टि दिखाते हुए कहा कि बैंक की तरफ से सेवा में घोर कमी दिखाई पड़ती है. जस्टिस ने कहा कि फिशिंग की शिकायत मिलने पर भी बैंक ने जवाब देने में कोई तत्परता नहीं दिखाई. साथ ही बैंक त्वरित कार्रवाई करने में और संदिग्ध लेनदेन को रोकने के अपने कर्तव्य में लापरवाही से पेश आया है.
अदालत ने कहा,
"अनधिकृत निकासी को रोकने के लिए बैंक द्वारा कोई व्यवस्था लागू न किए जाने के कारण याचिकाकर्ता को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. साइबर हमले किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं, चाहे उसकी उम्र या अनुभव कुछ भी हो. एक याचिकाकर्ता ने एसबीआई कस्टमर केयर सर्विस को धोखाधड़ी वाले लेनदेन की सूचना दी, लेकिन रिपोर्ट को रोकने से पहले ही लेनदेन को संसाधित कर दिया गया. यह परिष्कृत साइबर खतरों के प्रति व्यक्तियों की भेद्यता और नुकसान को कम करने के लिए समय पर रिपोर्ट करने में चुनौतियों को उजागर करता है."
दिल्ली हाईकोर्ट ने साइबर जालसाजों के सिंपल मैलवेयर के कारण एसबीआई के सुरक्षा प्रोटोकॉल में सेंध को लगने से हैरानी जता. वहीं, इस बात पर जोर दिया कि सिंह को साइबर हमले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने कभी कोई OTP साझा नहीं किया है.
अदालत ने आगे कहा,
"आरबीआई सर्कुलर के अनुसार विचाराधीन लेनदेन 'शून्य देयता' के अंतर्गत आते हैं. परिणामस्वरूप, एसबीआई, याचिकाकर्ता को हुए नुकसान के लिए ब्याज सहित क्षतिपूर्ति करने और सांकेतिक मुआवजा प्रदान करने के लिए बाध्य हैं."
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को आदेश दिया है कि वह सिंह को साइबर धोखाधड़ी से हुए 2.6 लाख रुपये के नुकसान की भरपाई करे, साथ ही 18 अप्रैल, 2021 से 9% ब्याज भी दे, जब घटना की सूचना दी गई थी. इसके अतिरिक्त, एसबीआई को 25,000 रुपये की मुकदमे की लागत का भुगतान भी करना होगा.
दिल्ली हाईकोर्ट से पहले, एसबीआई द्वारा उनकी सहायता करने में विफल रहने के बाद सिंह ने बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई थी. लोकपाल ने एसबीआई को सिंह के खाते में 33,000 रुपये जमा करने का आदेश दिया और शिकायत बंद कर दी. बकाया राशि से असंतुष्ट सिंह ने उच्च न्यायालय से राहत मांगी थी.