दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक नरेश बल्यान को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत जमानत देने से इनकार कर दिया है. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने बुधवार को यह फैसला सुनाया. यह मामला बल्यान की गिरफ्तारी के बाद से चर्चा में है, जो 4 दिसंबर को हुआ था.
राउज एवेन्यू कोर्ट में जज कावेरी बावेजा ने 9 जनवरी को इस याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली पुलिस ने 8 जनवरी को बल्यान की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह संगठित अपराध सिंडिकेट का 'सहायक' है. पुलिस ने अदालत से अनुरोध किया कि बल्यान की जमानत याचिका को खारिज किया जाए.
पुलिस ने अदालत को बताया कि यदि जमानत दी जाती है, तो बल्यान गवाहों को प्रभावित कर सकता है, साक्ष्यों को नष्ट कर सकता है और जांच में बाधा डाल सकता है. विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि गवाहों ने स्वीकार किया है कि बल्यान संगठित अपराध सिंडिकेट का सहायक और साजिशकर्ता है.
सरकारी वकील ने विभिन्न स्थानों पर दर्ज 16 प्राथमिकी का हवाला देते हुए कहा कि इस सिंडिकेट ने समाज में अराजकता फैलाते हुए अवैध धन अर्जित किया है. बल्यान पर आरोप है कि उसने अपराध के बाद सिंडिकेट के एक सदस्य को पैसे प्रदान किए.
4 दिसंबर के दिन जबरन वसूली के एक अन्य मामले में नरेश बाल्यान को जमानत मिली, लेकिन पुलिस ने उन्हें मकोका मामले में गिरफ्तार किया. जबरन वसूली के मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा कि आरोपी को अब हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं है. वहीं, आप नेता की ओर से पेश हुए वकील ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ऐसा कोई सबूत पेश करने में असफल रही है, जिससे यह साबित हो कि जमानत मिलने के बाद मेरे मुवक्किल किसी तरह से किसी तरह का गंभीर खतरा हो. अदालत ने आप नेता नरेश बाल्यान को सशर्त जमानत दी है.
इस मामले में अदालत ने आप नेता को जमानत दे दी थी, हालांकि राउज एवेन्यू कोर्ट ने मकोका मामले में नरेश बाल्यान को जमानत देने से इंकार किया है.