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गिरफ्तारी में प्रतिरोध या बाधा डालने पर होगी IPC की धारा 224 और 225 के तहत सख्त सज़ा

इस धारा के स्पष्टीकरण में बताया गया है कि इस धारा में दी गई सजा, उस सजा के अतिरिक्त है जिस अपराध के लिए उसे हिरासत में लिया जाना था या आरोप लगाया गया था, या उसे दोषी ठहराया गया था.

Written by My Lord Team |Published : January 18, 2023 9:23 AM IST

नई दिल्ली: ऐसा अक्सर होता है कि जब पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने गई, तो उस व्यक्ति ने सरेंडर करने के बजाय गिरफ़्तारी में बाधा डालने और भागने का प्रयास किया और वह इसमें सफल भी हो गया। ऐसे भी मामले होते हैं जिसमें बाहरी लोग किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी का प्रतिरोध करते हैं और उसमें बाधा डालते हैं.

आपको बता दें कि यह एक संगीन अपराध है, और दोनों ही स्थितियों में पुलिस कार्रवाही में बाधा डालने वाले व्यक्ति को सख्त सज़ा का सामना करना पड़ सकता है. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 224 और 225 में इनके संबंध में अपराधों को परभाषित किया गया है.

खुद की गिरफ्तारी में बाधा डालना

धारा 224 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति, पुलिस द्वारा की जा रही विधिवत गिरफ्तारी का प्रतिरोध करता है या उसमें बाधा डालता है या हिरासत से भागता है या भागने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा सकती है. दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 2 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा सुनाई जा सकती है.

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इस धारा के स्पष्टीकरण में बताया गया है कि इस धारा में दी गई सजा, उस सजा के अतिरिक्त है जिस अपराध के लिए उसे हिरासत में लिया जाना था या आरोप लगाया गया था, या उसे दोषी ठहराया गया था.

अपराध की श्रेणी

IPC की धारा 224 के अंतर्गत किया गया अपराध, एक जमानती और संज्ञेय [अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है] अपराध है. इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.

किसी अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी में बाधा डालना

धारा 225 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी ने व्यक्ति की विधिवत गिरफ्तारी का प्रतिरोध करता है या उसमें बाधा डालता है या उसे बचाता है और उसे बचाने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा सकती है. दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 2 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा सुनाई जा सकती है.

वहीं इस धारा में, आरोपी जिसे गिरफ्तार किया जाना था, उसके ऊपर लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए, धारा 225 के तहत अधिक कठोर दंड दिए जाने के भी प्रावधान हैं.

यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय हो: इस स्तिथि में जो व्यक्ति धारा 225 के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे 7 वर्ष तक के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है. यदि अपराध आजीवन कारावास या 10 वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय हो इस स्तिथि में जो व्यक्ति धारा 225 के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे 3 वर्ष तक के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है.

यदि व्यक्ति को मृत्यु से दंडनीय अपराध का दोषी पाया गया: इस स्तिथि में जो व्यक्ति धारा 225 के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे 10 वर्ष तक के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है.

यदि व्यक्ति को आजीवन कारावास या 10 वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय अपराध का दोषी पाया गया: इस स्तिथि में जो व्यक्ति धारा 225 के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे 7 वर्ष तक के कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सज़ा हो सकती है.

अपराध की श्रेणी

भारतीय दंड सहिंता की धारा 225 के अंतर्गत दिया गया अपराध, एक संज्ञेय [अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है] अपराध है. यह एक जमानती अपराध है, लेकिन जब मामला उन स्थितियों में आता है, जिनमें आरोपी को कठोर सज़ा दी जा सकती है, तो उन मामलों के लिए यह एक गैर-जमानती अपराध है. इस अपराध में समझौता भी नहीं किया जा सकता है.

इस तरह पुलिस कार्रवाही में बाधा डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय कानून के तहत सख्त कार्यवाही की जाती है. इन बातों का ध्यान रखें और पुलिस द्वारा विधिवत तरीके से की जा रही गिरफ्तारी का प्रतिरोध ना करें और ना ही किसी आरोपी को पुलिस हिरासत से भागने में मदद करें, अन्यथा आपको स्वयं सख्त कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है.