Advertisement

'धर्म बदलने के निर्णय को अखबारों के माध्यम से करें सार्वजनिक', Allahabad High Court ने दिया अहम आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को इस बात की जानकारी समाचार-पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक करने के निर्देश दिए है जो धर्म परिवर्तन के फैसले को स्वेच्छिक होने की पुष्टि करेगा.

Written by My Lord Team |Published : April 12, 2024 12:55 PM IST

Religious Conversion: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. उच्च न्यायालय ने कहा, भारत में हर व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर सकता है, लेकिन इसे दिखाने के लिए विश्वसनीय सबूत होना चाहिए. सबूत के लिए व्यक्ति की लिखित या मौखिक रूप से की गई घोषणा (Declaration) काफी नहीं हैं. व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के फैसले की घोषणा समाचार-पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक करनी होगी जिससे धोखाधड़ी और जबरदस्ती रूपांतरण होने की बातों का खंडन हो. व्यक्ति को अपने धर्म परिवर्तन करने की जानकारी संबंधित अधिकारियों को देनी होगी, जिससे सरकारी दस्तावेजों को नये अपडेट किया जा सकें. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक व्यक्ति ने याचिका दायर कर अपने खिलाफ हुए FIR रद्द करने की मांग की. व्यक्ति के खिलाफ दूसरे धर्म की लड़की से विवाह करने पर उसके ससुर ने अपराधिक मुकदमा दर्ज कराया है. लड़की के पिता ने अपहरण, रेप सहित पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया है.

धर्म परिवर्तन स्वेच्छिक, दिखाने के लिए हों पर्याप्त सबूत

जस्टिस प्रशांत कुमार की एकल-जज बेंच ने इस मामले को सुनवाई की. जस्टिस ने धर्म बदलने के विषय पर चर्चा की. जस्टिस ने स्पष्ट किया कि देश का हर नागरिक धर्म परिवर्तन करने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन उसके पास पर्याप्त सबूत होने चाहिए, जो सिद्ध करें कि ऐसा उसने अपनी मर्जी से किया है. साथ ही इस मामले में राज्य के वकील को धर्म परिवर्तन के कारणों की जांच कर रिपोर्ट देने के भी आदेश दिए है.

बेंच ने कहा,

Also Read

More News

"भारत में, किसी के लिए भी धर्म परिवर्तन पर कोई रोक नहीं हैं. मौखिक या लिखित घोषणा (Declaration) धर्म परिवर्तन नहीं मानी जाती है. धर्म परिवर्तन की इच्छा का विश्वसनीय प्रमाण जरूरी है, इसके बाद ही इच्छा पूर्ति के लिए स्पष्ट कार्रवाई की जाती है."

अखबारों के माध्यम से करें घोषणा

अदालत ने आगे कहा. व्यक्ति द्वारा धर्म बदलने की जानकारी संबंधित सरकारी अधिकारियों को भी अवगत कराना होगा जिससे सरकारी दस्तावेजों में उसके नए पहचान को अपडेट किया जा सके. साथ ही अखबारों के माध्यम से धर्म परिवर्तन की जानकारी सार्वजनिक तौर पर बतानी चाहिए. ये सभी कार्य सिद्ध करेंगे कि धर्म परिवर्तन किसी तरह की जोड़-जबरदस्ती या धोखाधड़ी से नहीं हुआ है.

बेंच ने कहा,

"धर्म में परिवर्तन कानूनी होना चाहिए जिससे व्यक्ति का नया धर्म सभी सरकारी आईडी पर दिखाई दे. इसके बाद, स्थानीय क्षेत्र में प्रचलित किसी समाचार पत्र में विज्ञापन दें, जिससे यह सुनिश्चित हो कि इस बदलाव पर कोई आपत्ति नहीं है. इस प्रचार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि यह कोई धोखाधड़ी या अवैध परिवर्तन नहीं है."

भारत के राजपत्र में जारी कराए अधिसूचना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगे निर्देश दिया. धर्म बदलने/परिवर्तन करने वाले व्यक्ति भारतीय राजपत्र में अधिसूचना जारी कराने के लिए आवेदन करना पड़ेगा. राजपत्र ऑफिस में संबंधित अधिकारी इस बात की जांच करने के बाद ही अधिसूचना जारी करेंगे.

क्या है मामला?

एक व्यक्ति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया. अपनी याचिका में व्यक्ति ने अपने खिलाफ हुए FIR को रद्द करने का मांग किया. व्यक्ति ने दूसरे धर्म की लड़की से शादी की थी. शादी से नाराज पिता ने लड़के के खिलाफ अपहरण, रेप एवं पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराया है.

पॉक्सो एक्ट के लिए अदालत ने लड़की की उम्र की तहकीकात. जांच के बांद, अदालत के सामने यह बात आई कि शादी के समय लड़की बालिग थी. अब अदालत ने राज्य के वकील को निर्देश दिया है कि धर्म परिवर्तन की प्रकृति की जांच कर रिपोर्ट दें. राज्य के वकील को अपनी रिपोर्ट में धर्म परिवर्तन के कारणों का पता लगाकर बताना है.

मामले में अगली सुनवाई 6 मई, 2024 को होगी.