राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की मांग वाली याचिका को खारिज की. जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-E-Hind) ने याचिका में राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) के उस फैसले को चुनौती दिया था, जिसमें राज्य के स्कूलों में सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) को लागू करने के आदेश थे. कोर्ट ने सुनवाई करने से मना करते हुए कहा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद एक पंजीकृत संस्था नहीं है. जिस वजह से याचिका करने का अधिकारी नहीं है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में मांग किया, कि राज्य सरकार ने स्कूलों में सूर्य नमस्कार सभी बच्चों के लिए अनिवार्य किया है. राज्य सरकार का ये निर्णय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है. इसे सभी के लिए लागू करना असंवैधानिक है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस फैसले को रद्द करने या वैकल्पिक करने की मांग की है. बता दें कि, संविधान का अनुच्छेद 25, हर व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता की इजाजत देता है.
कोर्ट ने कहा,
“कोई संगठन हाई कोर्ट में तभी याचिका दायर कर सकता है जब वो पंजीकृत हो या याचिका व्यक्तिगत रूप से दायर की जा सकती है.”
सूर्य नमस्कार को स्कूलों में लागू करने के विरोध में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी एक याचिका दायर की है. राजस्थान हाईकोर्ट में इस याचिका पर 20 फरवरी 2024 के दिन सुनवाई होनी है.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने कहा, कि उन्हें सूर्य नमस्कार को चुनौती देने वाली याचिका के विषय में कोई जानकारी नहीं है. राज्य के शिक्षा मंत्री (Education Minister) ने बताया. सूर्य नमस्कार कोई धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि एक प्रकार का योग है. इसे विश्व के कई देशों ने भी अपने यहां लागू किया है.
‘सूर्य नमस्कार’ का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है. ये योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत और स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है. सूर्य नमस्कार 12 शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है.