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राहुल गांधी अब नहीं रहें सांसद, इन आधारों पर हुई उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द

राजनीति को भले ही एक दलदल कहा जाता है लेकिन जरुरी है कि हर नेता अपनी छवी सफेद रखें नहीं तो उन्हे अपने सत्ता से हाथ धोना पड़ जाता है.

Written by My Lord Team |Published : March 24, 2023 10:55 AM IST

नई दिल्ली: सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के मामले में सजा सुनाये जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. राहुल गांधी केरल की वायनाड संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य है, जिन्हे गुरुवार को ही सूरत की एक अदालत ने मानहानि के मामले में 2 साल की सजा सुनाई है.

फैसले के दूसरे ही दिन शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी कर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को अयोग्य घोषित किया गया. अधिसूचना में कहा गया है कि उनकी अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा.

अधिसूचना में कहा गया है कि राहुल गांधी को संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है. गौरतलब है कि गुरुवार को सूरत की मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत ने मोदी सरनेम के मामले में की गई टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2 वर्ष की सजा सुनाई थी. राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला 2019 में एक रैली के दौरान की गई टिप्पणी के लिए दर्ज किया गया था.

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हालांकि अदालत ने राहुल गांधी को फैसले के तुरंत बाद ही जमानत देते हुए अपील के लिए 30 दिन का समय दिया था.

इन आधारों पर हुई राहुल की सदस्यता रद्द

राहुल गांधी को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1955 की धारा 8 (3) के अनुसार लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है, जिसे कि लोकसभा सचिवालय द्वारा सूचित किया गया है.

हालांकि अदालत ने 30 दिनों के लिए उनकी सजा पर रोक लगा दी थी, लेकिन यह उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया जाने के लिए पर्याप्त नहीं था, क्योकि, लोगों के प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के तहत किसी भी व्यक्ति जिसे दो साल या उससे ज़्यादा की सजा सुनायी जाती है वह संसद से अयोग्य हो जाते है जिसका अर्थ है की उनकी सदस्य्ता रद्द कर दी जाती है.

अगर अदालत ने सजा के बजाय उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी होती तो उनके अयोग्य न होने की संभावना होती. लेकिन चूंकि उन्हें अपराध का दोषी ठहराया गया था और दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) ने उन्हें स्वत: ही अयोग्य बना दिया.

लोगों का प्रतिनिधित्व अधिनियम, निर्दिष्ट करता है कि कैसे और कब एक व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जा सकता है और किस आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

अयोग्यता का क्या अर्थ है?

अयोग्य होने का सीधा सा मतलब है कि जिन लोगों को किसी कानून के तहत किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, वे संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य नहीं रहेंगे, क्योंकि उन्हें अदालत ने दोषी ठहराया है.

संसद से यह अयोग्यता कुछ महीनों से लेकर वर्षों तक रह सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें किस अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है.

किन अपराधों के लिए सजा पर अयोग्यता

अधिनियम की धारा 8 में विभिन्न अपराधों का उल्लेख है जिसके लिए संसद के सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जो कि यह हैं:

  • भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC) की धारा 153 Aके तहत धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच नफरत को बढ़ावा देने के लिए दोषी व्यक्ति.
  • IPC की धारा 171 E के तहत रिश्वतखोरी के अपराध के लिए दोषी व्यक्ति
  • IPC की धारा 171 Fके तहत एक चुनाव में अनुचित प्रभाव या प्रतिरूपण के अपराध का दोषी व्यक्ति
  • IPC की धारा 376 के किसी भी खंड के तहत बलात्कार का दोषी व्यक्ति
  • IPC की धारा 498 A के तहत एक महिला के खिलाफ क्रूरता के लिए दोषी व्यक्ति, जो उसकी पत्नी या बहू या रिश्तेदार है
  • IPC की धारा 505, जब कोई व्यक्ति किसी भी पूजा स्थल में या धार्मिक समारोहों के प्रदर्शन में लगे किसी भी सभा में कोई ऐसा बयां देना जो दो वर्गों के बीच दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने के लिए दोषी पाया जाता है.
  • एक व्यक्ति जिसे छुआ-छूत को बढ़ावा देने के लिए दोषी ठहराया गया है और नागरिक अधिकारों के संरक्षण अधिनियम को दंडित किया गया है.
  • गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम द्वारा गैरकानूनी घोषित संगठन का सदस्य होने के अपराध के लिए दोषी व्यक्ति
  • पूजा स्थल अधिनियम की धारा 6 के अनुसार एक व्यक्ति को धर्म के एक स्थान को दूसरे में परिवर्तित करने का दोषी पाया गया
  • इसमें राष्ट्रीय ध्वज और भारत के संविधान का अनादर करने के लिए दोषी ठहराए गए लोग भी शामिल हैं.

धारा 8 में कहा गया है कि इस तरह के अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए लोगों को अगर सिर्फ जुर्माना लगाया जाएगा तो उन्हें 6 वर्ष की अवधि के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा या यदि जेल में डाल दिया जाता है तो उन्हें रिहा होने की तारीख से 6 साल की अवधि के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा.

धारा 8 के खंड 3 में यह भी कहा गया है कि इस धारा में कोई भी अपराध जो वर्णित नहीं किये गए है, जिसमें कम से कम 2 वर्ष की सजा निर्धारित है, तो वह ऐसे अपराध के लिए दोषी होने की तारीख से अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो उनकी रिहाई के छह साल तक लागू रहेगी.

भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया जाना

जब कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाया जाता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है. केंद्र सरकार भारत के राष्ट्रपति को निर्दिष्ट करेगी कि ऐसा व्यक्ति अयोग्य होगा या नहीं.जबकि किसी भी व्यक्ति को छह साल से अधिक की अवधि के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है.

एक व्यक्ति जिसने भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण किया है जो भ्रष्टाचार के कारण या राज्य के प्रति अनिष्ठा के कारण बर्खास्त कर दिया गए है, तो ऐसी बर्खास्तगी की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए वह व्यक्ति संसद से अयोग्य होगा.

निर्वाचन व्यय की सूचना न देना

संसद या राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने हर कार्य और अपने हर लेन-देन में पारदर्शिता बरतें. यदि वे चुनाव, रैलियों और अन्य उद्देश्यों पर खर्च किए गए धन के बारे में जानकारी देने में विफल रहते हैं, और वे इसे दाखिल नहीं करने का कोई अच्छा कारण नहीं दे पाते है, तो उन्हें चुनाव आयोग द्वारा तीन साल के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है.

चुनाव आयोग के पास किसी भी अयोग्यता को हटाने का अधिकार है, सिवाय इसके कि जब किसी व्यक्ति को भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया हो.