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PM, नेता प्रतिपक्ष और CJI की समिति की सलाह पर President करेंगे EC, CEC की नियुक्ति: SC

उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा की निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी.

Written by My Lord Team |Published : March 2, 2023 7:33 AM IST

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर विपक्ष के नेता नहीं हैं, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता EC, CEC की नियुक्ति के लिए समिति में होंगे.

उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मत फैसले में चुनाव प्रक्रियाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर दिया और कहा कि लोकतंत्र लोगों की इच्छा से जुड़ा है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि चुनाव निश्चित रूप से निष्पक्ष होने चाहिए और लोकतंत्र में चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए नहीं तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे.

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न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि लोकतंत्र नाजुक है और कानून के शासन पर बयानबाजी इसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है. उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए बाध्य है, उसे संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करना चाहिए.

न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अपने फैसले में कहा कि यह नियम तब तक कायम रहेगा जब तक कि संसद इस मुद्दे पर कानून नहीं बना देती।

पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं। पीठ ने चुनाव प्रक्रिया में शुद्धता पर जोर दिया और कहा कि लोकतंत्र आंतरिक रूप से लोगों की इच्छा से जुड़ा हुआ है।

न्यायमूर्ति जोसेफ द्वारा लिखे गए फैसले से सहमत न्यायमूर्ति रस्तोगी ने अपने तर्क के साथ एक अलग फैसला सुनाया।

बता दें कि पीठ ने पिछले साल 24 नवंबर को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने में केंद्र द्वारा दिखाई गई ‘‘जल्दबाजी’’ पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी फाइल 24 घंटे में विभागों से ‘‘बिजली की गति’’ से पास हो गयी थी।