नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने हाल ही में एक जमानत याचिका की सुनवाई करते समय यह कहा है कि एक गए का कब्जा या फिर उसका ट्रांसपोर्टेशन 'उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम' के तहत अपराध नहीं है। जानिए क्या था पूरा मामला.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जमानत याचिका की सुनवाई के दरमियान इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश विक्रम डी चौहान (Justice Vikram D Chauhan) ने कहा कि राज्य के अंदर गाय या मवेशियों का कब्जा या फिर उन्हें एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना, 'उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम' (Uttar Pradesh Prevention of Cow Slaughter Act) के तहत अपराध नहीं है।
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक शख्स की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी जिसे इसलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि उसके पास से छह गायें बरामद की गई थीं जिनपर वहाँ से शारीरिक चोट के निशान थे।
याचिकाकर्ता के खिलाफ 'यूपी गोवध निवारण अधिनिय, 1956' और 'पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960' (The Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) के तहत अपराध करने के मामले दर्ज किये गए थे और उन्हें तीन महीनों तक जेल में रखा गया था।
इस मामले में जस्टिस विक्रम डी चौहान ने आरोपी को जमानत दे दी और उन्होंने कहा कि 'यूपी गोवध निवारण अधिनियम संख्या 1' के तहत एक जीवित गाय या बैल को अपने पास रखना या फिर उसे एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना, अपराध करने या अपराध के लिए उकसाने/उसका प्रयास करने की श्रेणी में नहीं आता है।
जस्टिस चौहान ने कहा कि इस मामले में राज्य को आरोपी के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था जिससे ये सिद्ध किया जा सके कि गाय को शारीरिक चोट इसलिए लगी है क्योंकि उसकी जान को खतरा है। साथ ही, इस बात का भी कहीं कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि आरोपी ने कभी पहले किसी गाय या बैल आदि का वध किया हो।