झारखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की पूर्व अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत अर्जी पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. पूर्व IAS ने गत 26 सितंबर को रांची की विशेष पीएमएलए अदालत से जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद सिंघल ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. पूजा सिंघल को मई 2022 में गिरफ्तार किया गया था. उससे पहले ईडी ने धनशोधन के एक मामले (Money Laundering Case) में उनसे जुड़ी संपत्तियों पर छापेमारी की थी. पूजा सिंघल पर खान सचिव और विभिन्न जिलों के उपायुक्त रहने के दौरान अपने पदों का दुरुपयोग करके भ्रष्टाचार से धन अर्जित करने का आरोप है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 29 अप्रैल को झारखंड कैडर की निलंबित आईएएस अधिकारी की याचिका खारिज कर दी थी जिसमें धनशोधन मामले में जमानत देने का अनुरोध किया गया था. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था और कहा था कि यह एक ‘असाधारण मामला’ है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के 17 गवाहों में से 12 से ईडी ने पूछताछ की है और उम्मीद जताई कि मामले की सुनवाई शीघ्र पूरी हो जाएगी.
अदालत ने कहा,
‘‘आप जमानत के लिए कुछ समय प्रतीक्षा करें. यह कोई सामान्य मामला नहीं है, बल्कि एक असाधारण मामला है. इस मामले में कुछ गंभीर गड़बड़ी है. हम इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. हमें उम्मीद है कि मुकदमा तेजी से आगे बढ़ेगा.’’
याचिका खारिज करते हुए पीठ ने सिंघल को यह छूट दी कि यदि मुकदमा लंबा चलता है या परिस्थितियों में कोई अन्य परिवर्तन होता है तो वह दोबारा से अपनी जमानत याचिका दायर कर सकती हैं.
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कुल हिरासत अवधि में से वह अधिकतर समय अस्पताल में बिता चुकी हैं. राजू ने अदालत को बताया कि मामले में हिरासत में बिताए गए 687 दिन में से सिंघल 481 दिन अस्पताल में रही हैं.
पीठ ने सिंघल की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल से कहा कि ‘‘आपके मुवक्किल के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं. जब्त नकदी भी भारी भरकम है.’’
इस पर अग्रवाल ने कहा कि रांची में बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं, जहां सिंघल न्यायिक हिरासत में रही हैं. अदालत ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कोई सामान्य नहीं बल्कि असाधारण मामला है. अगर यह सामान्य मामला होता तो हम आपको जमानत दे देते.