Prevention Of Money Laundering Case: पटियाला कोर्ट के सामने एक अजीबोगरीब वाक्या सामने आया. वाक्या मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान घटित हुई, जब प्रवर्तन निदेशालय ने एक शख्स को गवाह के तौर पर पेश करने के बाद उसी मामले में गिरफ्तार कर लिया. अब ईडी शख्स को अदालत के पास आरोपी के तौर पर ले गई. ईडी की इस करनी से अदालत भी हैरान-अवाक रहा गया. अचंभित होते हुए अदालत ने कहा कि ये किस तरह का प्रक्रिया है.
पटियाला कोर्ट में एडिशनल सेशन जज (ASJ) धीरज मोर ने ईडी के रवैये नाराजगी जाहिर की. अदालत ने कहा कि मामले की पहले जांच अधिकारी 'शख्स' को गवाह बनाकर लाए थे, वहीं उनकी बदली होने पर दूसरे जांच अधिकारी ने ना केवल शख्स को आरोपी बनाया, बल्कि उसे गिरफ्तार भी किया है.
अदालत ने गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि ईडी के डायरेक्टर को निर्देश दिया कि वे गिरफ्तारी से जुड़ी आदर्श प्रक्रिया को लेकर महीने भर के अंदर अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने पेश करें. साथ ही शख्स को गिरफ्तार करने को लेकर अपनाई प्रक्रिया से स्पष्टीकरण की मांग की गई है.
मामला लिग्वेयर एविएशन लिमिटेड से फर्जी चलान बनाकर 18.88 करोड़ रूपये ठगने का है जिसमें मांगेलाल सुनील अग्रवाल सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है.
18.88 करोड़ रूपये की हेराफेरी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान पटियाला कोर्ट के सामने ये बातें आई. जब अदालत मांगेलाल सुनील अग्रवाल की जमानत पर सुनवाई कर रहा था.
अदालत ने कहा कि जांच की निष्पक्षता और जांच अधिकारी के रवैये की आलोचना की जानी चाहिए. अदालत ने कहा कि जांच अधिकारियों की जांच उनकी कल्पनाओं और सनक पर आधारित दिखाई पड़ती है. अदालत ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.