नई दिल्ली: Rajasthan high Court ने बिना किसी रिसर्च और जानकारी के PIL दायर करने पर याचिकाकर्ता पर 50 हजार का जुर्माना लगाया है. High Court ने इसके साथ ही जनहित याचिका को भी खारिज करने का आदेश दिया है.
PIL के जरिए अदालत में राजस्थान के खान विभाग के 4 अगस्त 2022 के सर्कुलर को चुनौती दी गयी. याचिका में कहा गया कि इस सर्कुलर के जरिए विभाग ने बिना किसी सर्वेक्षण और अधिग्रहण की कार्यवाही के खनन पट्टा जारी करने का प्रावधान किया है.
याचिका में सर्कुलर के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के क्लॉज 9(iv) को लेकर कहा गया कि इस प्रावधान में सफल बोलीदाता RSMML को खनन के लिए पट्टा क्षेत्र के भीतर भूमि के अधिग्रहण में सुविधा प्रदान की गई है. RSMML खातेदारों को सरकार द्वारा अनुमोदित दरों के अनुसार भूमि अधिग्रहण लागत का भुगतान करेगा.
याचिका में कहा गया है इसके जरिए वैकल्पिक रूप से, सफल बोलीदाता RSMML को भूमि मालिकों से सहमति प्राप्त करने में मदद दी गई है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस कुलदीप माथुर की पीठ ने कहा कि नोटिस केवल बोली आमंत्रित करने के लिए है और सफल बोली लगाने वाले को केवल राजस्थान राज्य खान और खनिज लिमिटेड (RSMML) को भूमि के अधिग्रहण में मदद मिलेगी.
पीठ ने कहा कि खनन के लिए पट्टा क्षेत्र के भीतर और RSMML खातेदारों को सरकार द्वारा अनुमोदित दरों के अनुसार भूमि अधिग्रहण लागत का भुगतान करेगा.
पीठ ने कहा सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है पट्टा पहले एक निजी उद्यमी को दिया गया था और बाद में पट्टे को राज्य के साधन के पक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि यह जनहित याचिका बिना किसी रिसर्च और जानकारी एकत्रित किए की गई है.
पीठ ने कहा याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के अधिकार का जानबुझकर दुरूपयोग किया है इसलिए याचिका को खारिज करते हुए 50 हजार का जुर्माना लगाया जाता है.