नई दिल्ली: गुजरात दंगों से जुड़ी पीएम मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हिंदू सेना अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भारत में बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है.
गुरूवार को हिंदू सेना अध्यक्ष की ओर से अधिवक्ता ने इस मामले की तत्काल सुनवाई के लिए सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के समक्ष मेंशन किया. सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने हिंदू सेना की इस जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की अनुमति देने से इनकार करते हुए अब शुक्रवार को मेंशन करने को कहा है.
CJI की बेंच उन मामलो की ही सुनवाई करती है जो उस दिन की मेंशनिंग लिस्ट में सूचीबद्ध होते है. गुरूवार की सूची में यह जनहित याचिका सूचीबद्ध नही थी.
हिंदू सेना अध्यक्ष के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने यह मामला जनहित याचिका के जरिए दायर किया है. दायर की गई याचिका में 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण करने पर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने बीबीसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए 27 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व दिया था लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
केन्द्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को देश में सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैनल पर प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया है. इसके बावजूद देश भर के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों के अलग अलग संगठन इस डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन कर रहे है.
दक्षिणपंथी संगठन हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और एक किसान बीरेंद्र कुमार सिंह द्वारा दायर की गई याचिका में सुप्रीम कोर्ट से बीबीसी पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही बीबीसी की जांच की भी मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि "पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में 2014 से भारत के समग्र विकास में तेजी आई है, यह भारत विरोधी लॉबी, मीडिया विशेष रूप से बीबीसी जैसे संस्थान द्वारा स्वीकार नहीं हो रहा है। इसलिए, बीबीसी भारत और भारत सरकार के खिलाफ पक्षपाती रवैया अपना रहा है.
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं 2002 की गुजरात दंगों से जुड़े मामलों को शांत कर दिया है, क्योंकि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जो यह दर्शाता हो कि हमले गुजरात राज्य के किसी मंत्री द्वारा प्रेरित या उकसाए गए थे.
याचिका में कहा गया है कि गुजरात हिंसा पर नानावती आयोग की रिपोर्ट ने भी गुजरात सरकार के किसी भी मंत्री को हिंसा से जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं होने के बारे में स्पष्ट निष्कर्ष दिया है.
यहां तक की सुप्रीम कोर्ट ने भी विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा पीएम मोदी को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है.
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म न केवल उनकी छवि को धूमिल करने के लिए मोदी विरोधी प्रचार का प्रतिबिंब है, बल्कि भारत के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने के लिए बीबीसी द्वारा हिंदू धर्म विरोधी प्रचार भी है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि भारतीय स्वतंत्रता के समय से ही बीबीसी का भारत विरोधी रुख रहा हैं. याचिका में कहा गया कि आजादी के बाद से ही बीबीसी ने भारत-विरोधी और भारत-विरोधी प्रचार के लिए काम कर रहा है.
याचिका में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बीबीसी पर लगाए गए प्रतिबंध का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वर्ष 1967 से 1969 के दौरान, कोलकाता में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई थी, जिसमें भारत के प्रभाववादी चित्रण को उजागर किया गया था. उस डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण बीबीसी द्वारा वर्ष 1970 में किया गया था.
इसके बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बीबीसी को भारत में दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया.
याचिका में कहा गया है, "भारत में तैनात बीबीसी के ब्रिटिश कर्मचारियों को देश छोड़ने के लिए कहा गया था और भारतीय कर्मचारियों को निगम छोड़ने के लिए कहा गया था।"
याचिका में कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वर्ष 1975 में, कांग्रेस पार्टी से संबंधित 41 संसद सदस्यों ने एक हस्ताक्षरित बयान जारी कर बीबीसी पर "कुख्यात रूप से भारत विरोधी कहानियों को प्रसारित करने का आरोप लगाया और सरकार से बीबीसी को भारत की धरती से फिर से रिपोर्ट करने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा था.