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'बिना सात फेरे के शादी मान्य नहीं', अब पटना हाईकोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Pakadwa Vivah In Bihar: पटना हाईकोर्ट ने एक शादी को इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि दूल्हे को बंदूक की नोक पर शादी करने के लिए मजबूर किया गया था और सात फेरे भी नहीं लिए गए थे.

Written by arun chaubey |Published : January 4, 2024 5:21 PM IST

Pakadwa Vivah In Bihar: हाल ही पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने पकड़ौआ विवाह से जुड़े मामले में एक फैसला सुनाया था. उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है. पटना हाईकोर्ट ने एक शादी को इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि दूल्हे को बंदूक की नोक पर शादी करने के लिए मजबूर किया गया था और सात फेरे भी नहीं लिए गए थे जोकि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत जरूरी है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में नोटिस जारी किया.

क्या है पूरा मामला?

करीब 10 साल पहले की बात है. रविकांत नाम के एक व्यक्ति का अपहरण कर लिया जाता है. और बंदूक की नोक पर दुल्हन के माथे पर सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था. हालांकि रविकांत इस शादी को रद्द करने की मांग करते हुए पटना हाईकोर्ट पहुंचते हैं. और पटना हाईकोर्ट ने 10 नवंबर को एक “जबरन” विवाह को रद्द कर दिया.

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हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा था,

"हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के अवलोकन से ये स्पष्ट है कि सातवां कदम (दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के चारों ओर) उठाने पर विवाह पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है."

हाईकोर्ट ने ये भी कहा था,

“अगर ‘सप्तपदी’ पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण नहीं माना जाएगा.”

रवि के चाचा ने जिला पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, जिसने कथित तौर पर उनकी सुनवाई नहीं की. इसके बाद, रवि ने लखीसराय में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष एक आपराधिक शिकायत दर्ज की.

उन्होंने शादी को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट का भी रुख किया, जिसने 27 जनवरी, 2020 को उसकी याचिका खारिज कर दी.

उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि फैमिली कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण था और आश्चर्य व्यक्त किया कि प्रतिवादी की ओर से साक्ष्य देने वाले पुजारी को न तो ‘सप्तपदी’ के बारे में कोई जानकारी थी, न ही वो उस स्थान को याद करने में सक्षम थे जहां विवाह समारोह हुआ था. इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने जबरदस्ती कराई गई शादी को रद्द करा दी. अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगी दी है.