Nithari Rape and Killing Case: सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली की बरी करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने के आदेश दिए हैं. अब इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 25 मार्च के दिन सुनवाई करेगा. यह मामला 2006 में उत्तर प्रदेश के निठारी में हुए बहुत नृशंस और भयानक हत्याओं में से एक था. इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जानकारी दी कि कोली के खिलाफ सबूत एक स्वीकृति बयान है, जो पुलिस हिरासत में कई दिन बाद दर्ज किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले से संबंधित ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को जल्दी से अदालत के रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट अब मामले की सुनवाई 25 मार्च के दिन करेगी. इस मामले में सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं की भी सुनवाई की जाएगी, जो इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोली को बरी करने के फैसले के खिलाफ हैं.
सुरेंद्र कोली को 28 सितंबर, 2010 के दिन ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2023 को उन्हें बरी कर दिया. फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा.
निठारी हत्याकांड में कोली और उनके सहायक मोनिंदर सिंह पांधेर पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने पड़ोस में बच्चों सहित कई लोगों का बलात्कार और हत्या की. 2006 में पांधेर के एक घर के पीछे बने नाले से आठ बच्चों की कंकाल की हड्डियों की खोज के बाद ये हत्याएं उजागर हुईं. इसके बाद और भी खंडहरों की खोज की गई, जिनमें अधिकांश हड्डियाँ गायब बच्चों और युवा महिलाओं की थीं. घटना के उजागर होने के बाद सीबीआई ने इस मामले की जांच 10 दिन के भीतर अपने हाथ में ले लिया और इसके परिणामस्वरूप अधिक मानव अवशेषों की खोज की गई. कुल मिलाकर, 2007 में कोली और पांधेर के खिलाफ 19 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से तीन मामलों में सीबीआई ने सबूतों की कमी के कारण क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी.