सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार पर पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया है. केन्द्र सरकार पर ये जुर्माना मेघालय हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने पर लगा है. केन्द्र सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) दायर की जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग बताया. भविष्य में केन्द्र को इस तरह की याचिकाएं करने से मना किया है. साथ ही जुर्माने की राशि को आर्म्ड फोर्सेस बैटल केजुअल्टी वेलफेयर फंड में दो महीने के भीतर जमा करने के निर्देश दिए है. जुर्माने की राशि जमा करने के एक महीने के भीतर जमा राशि की रसीद को रजिस्ट्री के पास जमा करने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने केन्द्र की याचिका को सुना. बेंच ने पाया कि पहले भी केन्द्र की ऐसी ही याचिका की थी जिसे खारिज कर दिया गया था.
बेंच ने कहा,
"भारत संघ के पास इस विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से उक्त आदेश को चुनौती देने का कोई अवसर या औचित्य नहीं था."
बेंच ने आगे कहा,
"वर्तमान याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं. याचिकाकर्ताओं को चेतावनी दी जाती है कि वे भविष्य में ऐसी तुच्छ याचिकाएं दायर न करें.”
सुप्रीम कोर्ट केन्द्र की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें मेघालय हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Central Administrative Tribunal) के फैसले बरकरार रखा था. केन्द्र ने मेघालय हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट इसी तर्ज पर खारिज किया था. दोबारा से वैसी ही याचिका करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है.