नई दिल्ली: हमारे देंश में डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि वे लोगों की जिंदगी बचाते हैं. लोग अस्पताल और डॉक्टर के पास इस उम्मीद से जाते हैं कि वहां जाने के बाद उनकी समस्या कम होगी या फिर पूरी तरीके से ठीक हो जाएगी.
लेकिन कभी-कभी इन्ही डॉक्टर की लापरवाही के कारण मरीजों की समस्या कम होने के बदले और बढ़ जाती है. इलाज के दौरान डॉक्टर्स द्वारा किए गए लापरवाही को मेडिकल लापरवाही (Medical Negligence) कहते हैं.
आए दिन ऐसी खबरें आती हैं कि किसी अस्पताल में किसी डॉक्टर के लापरवाही के कारण किसी मरीज की मौत हो गई, तो कभी मरीज की मौत हो चुकी होती है लेकिन फिर भी डॉक्टर और पैसे कमाने के चक्कर में झूठ का इलाज करते रहते हैं। यह सब खबरें सुन कर आम लोगों का विश्वास डॉक्टर्स पर से उठने लगा है.
मेडिकल की पढ़ाई शुरू करवाने से पहले मीडिकल छात्रों को शपथ दिलाई जाती है कि वे अपनी पढ़ाई का इस्तेमान केवल मानव जीवन को बचाने में करेंगे. लेकिन कई बार डॉक्टरों की लापरवाही मरीज और उसके संबंधित लोगो के लिए जीवन भर का दर्द भी दे जाती है.
मेडिकल लापरवाही कई तरह से हो सकती हैं, जैसे कि गलत बीमारी का गलत इलाज करना, सही बीमारी का देर से पता चलना, गलत सर्जरी करना, खराब सर्जरी करना, सर्जरी के दौरान शरीर के अंदर कोई वस्तु छोड़ देना, गलत दावा बताना, गलत इंजेक्शन लगाना, गलत सलाह देना वगैरहा.
डॉक्टर के लापरवाही के कारण किसी मरीज की जान जाती है या कोई हानि होती है तो अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Chief Medical Officer) को पत्र लिखकर शिकायत किया जा सकता है, अगर वहां से कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है तो स्टेट मेडिकल काउंसिल (State Medical Council) में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.
इसके बाद भी अगर आपको संतुष्टि नहीं मिलती है तो इंडियन मेडिकल काउंसिल (Indian Medical Council) में शिकायत कर सकते हैं. बता दें कि अगर शिकायत आपराधिक किस्म की है तो इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस स्टेशन में भी किया जा सकता है।
किसी डॉक्टर की लापरवाही पर एक पीड़ित आपराधिक या सिविल दोनों तरह से मुकदमा दर्ज करा सकता है. इस मामले में अगर डॉक्टर ने अपराधिक प्रवृति से लापरवाही की है. ऐसी स्थिती में पुलिस के समक्ष भी अपराधिक मुकदमा दर्ज होता है.
डॉक्टर की लापरवाही के चलते अगर मरीज को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशानी हुई है वह अपराधिक मामले की बजाए उसका मुआवजा प्राप्त करना चाहता है ऐसी स्थिती में वह उपभोक्ता अदालत या Consumer कोर्ट में भी मामला दर्ज करा सकते है.
सुप्रिम कोर्ट द्वारा चिकित्सा पेशे को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (Consumer Protection Act 1986) के तहत लाया गया है, साथ में चिकित्सा उपचार को 'सेवाओं' का नाम दिया गया है. जिसके चलते ऐसी लापरवाही पर डॉक्टर से लेकर अस्पताल के खिलाफ भी कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत की जा सकती है.
इलाज में लापरवाही के कारण अगर किसी मरीज की मृत्यु हो जाती है तो डॉक्टर के खिलाफ IPC की धारा-304A, लापरवाही के कारण मौत के तहत मुक़दमा दर्ज किया जाता है. 3
मेडिकल लापरवाही के चलते अगर किसी दूसरे व्यक्ति के जीवन को खतरे में डालने का अपराध किया गया है तो ऐसी स्थिती में IPC की धारा 337 में मामला दर्ज होगा.
IPC की धारा- 338 के अनुसार अगर किसी मरीज के इलाज के दौरान डॉक्टर की लापरवाही के चलते गंभीर चोट पहुंची है तो इसके लिए इस धारा में मामला दर्ज होगा.
डॉक्टर की लापरवाही पर उपरोक्त धाराओं में दो साल तक जेल की सजा से लेकर आर्थिक जुर्माने की सजा तक दी जा सकती है.