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मुजफ्फरनगर दंगा: विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट ने भाजपा के पूर्व विधायक समेत 27 के खिलाफ आरोप तय

28 अगस्त, 2013 को मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक संघर्ष के मामले में पुलिस ने सैनी सहित 27 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था.

Muzaffarnagar Kawal Kand

Written by My Lord Team |Published : June 7, 2023 11:14 AM IST

मुजफ्फरनगर (उप्र): मुजफ्फरनगर में 2013 के सांप्रदायिक दंगा मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक विक्रम सैनी समेत 27 लोगों के खिलाफ विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप तय किये हैं. सांसद-विधायक अदालत के विशेष न्‍यायाधीश मयंक जायसवाल इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं. इस मामले अगली सुनवाई 21 जून को होगी.

IPC के तहत आरोप तय

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, पुलिस ने राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC) की धारा 153A (धर्म, जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने) के तहत आरोप पत्र दायर किया, जिसकी सुनवाई मंगलवार को हुई.

सुनवाई के समय भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी सहित सभी 27 आरोपी अदालत में उपस्थित थे.

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अभियोजन पक्ष के अनुसार, 28 अगस्त, 2013 को मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक संघर्ष के मामले में पुलिस ने सैनी सहित 27 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था.

गौरतलब हो कि सैनी को पहले ही मुजफ्फरनगर दंगे की मुख्य वजह कवाल कांड में एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया था. विधायक सहित 12 अन्य आरोपियों के खिलाफ इस मामले में दो- दो साल की सजा तय की गई थी. जिसके चलते वह जिले के खतौली क्षेत्र से अपनी विधानसभा सदस्यता गंवा चुके हैं.

मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह कवाल कांड

अभियोजन पक्ष के अनुसार, सैनी तथा 26 अन्य के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था. जानकारी के लिए आपको बता दें कि कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में गौरव और सचिन तथा शाहनवाज नामक युवकों की हत्या की गयी थी.

इस घटना ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था. गौरव और सचिन का अंतिम संस्कार करके लौट रही भीड़ ने हिंसक रुख अख्तियार करते हुए कई मकानों में आग लगा दी थी.

इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गयी थी. कवाल कांड के बाद सितम्बर 2013 में मुजफ्फरनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गये थे तथा 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था. सैनी और 11 अन्य को पहले ही 11 अक्टूबर, 2022 को अन्य आरोपों में दोषी ठहराया जा चुका था.