पति (Husband) का अपने मां (Mother) से मिलने जाना और अपने पैसे मां को देना, घरेलू हिंसा (Domestic voilence) का कारण नहीं माना जाएगा. ये बात मुंबई कोर्ट (Mumbai Court) ने अपने फैसले में कहीं. मामला यूं है कि एक पत्नी ने अपने पति पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया. पत्नी ने कहा अलग रहने के बावजूद पति, अपने पैसे मां को भेजते थे. बता दें कि मजिस्ट्रेट कोर्ट से पहले सेशन कोर्ट (Session Court) ने भी पत्नी के आरोपों को खारिज किया था.
एडिशनल सेशन जज (Additional Session Judge) आशीष अयाचित ने इस केस की सुनवाई. जज आशीष अयाचित (Ashish Ayachit) ने पत्नी की याचिका खारिज की. याचिका में पत्नी ने अपने पति के ऊपर घरेलु हिंसा का आरोप लगाया था. पत्नी ने शिकायत में लिखा. पति की मां से वे दोनों दूर रहते थे. ऐसे में पति का अपनी मां से मिलने जाना और पैसे देना उचित नहीं लगता है.
कोर्ट ने कहा,
"हमनें शिकायतकर्ता को सुना. इन्हें पति का अपनी मां से मिलना और उन्हें पैसे देने से शिकायत है. इसे घरेलु हिंसा नहीं कहा जा सकता है."
शिकायतकर्ता की शादी साल 1992 में हुई थी. साल, 2014 में तलाक भी हुआ. तलाक के बाद पत्नी ने अपने पति और उसकी मां पर शारीरिक और मानसिक यातना का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई. पत्नी ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुरक्षा, घर और आर्थिक मदद की मांग की. शिकायत में पत्नी ने बताया कि वे और उसके पति, साल 1996 से 2004 के बीच में विदेश में रहते थे. इस दौरान वह अपनी मां को पैसा भेजते थे. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पत्नी की याचिका खारिज की. इस फैसले को पत्नी ने सेशन कोर्ट में चुनौती दिया.
सेशन कोर्ट ने पाया कि ये विवाद पति के तलाक मांगने के बाद शुरू हुआ है.
कोर्ट ने कहा,
"पत्नी ने नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल एकाउंट से पैसे निकाले है. उन पैसे से अपने नाम पर घर खरीदा है. पति पर लगाए आरोप में तथ्यों की कमी है. पत्नी का ये आरोप कि पति, उसे पैसे नहीं दे रहा था, स्वीकार नहीं किया जा सकता है."
सेशन कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया.
वकील शेखर शेट्टी ने पत्नी का पक्ष रखा है. वहीं, वकील पीआर शुक्ला और धर्मेश जोशी ने पति की तरफ से मौजूद रहे.