Advertisement

फरवरी के बाद हिरासत में नहीं... टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी की जमानत पर शीर्ष अदालत की अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और विधायक पार्थ चट्टोपाध्याय को धन शोधन मामले में 1 फरवरी 2025 या उससे पहले जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह सर्दी की छुट्टियों से पहले या 31 दिसंबर 2024 से पहले आरोप तय करने पर निर्णय ले.

Written by Satyam Kumar |Published : December 13, 2024 11:54 AM IST

आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टीएमसी नेता व पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) को भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1 फरवरी 2025 के बाद पार्थ चटर्जी को जमानत दी जा सकती है, लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश देते हुए कहा कि विंटर वेकेशन या 31 दिसंबर से पहले आरोपी टीएमसी नेता के खिलाफ आरोप तय किए जाने चाहिए. वहीं, जनवरी में मुख्य गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ये प्रक्रिया पूरी नही कर पाती है, फिर भी उन्हें 1 फरवरी तक जमानत देने पर विचार किया जा सकता है.

जमानत के आदेश सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग मामले  है: SC

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की डिवीजन पीठ ने पार्थ चटर्जी की याचिका पर सुनवाई की. पीठ ने कहा कि भले ही अभियोजन पक्ष ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप साबित किए हैं, लेकिन बिना परीक्षण किसी आरोपी को हिरासत में रखना सही नहीं है. अदालत ने साफ तौर पर कहा है कि याचिकाकर्ता को रिहाई के बाद किसी सार्वजनिक कार्यालय में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए, सिवाय इसके कि वह मुकदमे की कार्यवाही के दौरान विधानसभा के सदस्य बने रह सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि जमानत के ये निर्देश केवल ईडी मामले में है. स्पष्ट बता दें कि पार्थ चटर्जी को सीबीआई ने भी शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया है.

पिछली सुनवाई में पार्थ चटर्जी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में सभी आरोपियों को जमानत दे दी गई है, लेकिन पार्थ पिछले 2.5 साल से हिरासत में बंद है.

Also Read

More News

दूसरे आरोपियों के जैसे पार्थ चटर्जी को राहत नहीं: SC

पिछली सुनवाई में जस्टिस कांत ने राजू से जांच एजेंसी ईडी से जांच पूरी करने के लिए आवश्यक समय के बारे में पूछा. रोहतगी ने दलील दी कि नकदी उनके मुवक्किल से नहीं बल्कि एक कंपनी के परिसर से बरामद की गई. इसपर पीठ ने कहा कि चटर्जी का कंपनी पर वास्तविक नियंत्रण था और संपत्तियां उनके और अर्पिता मुखर्जी के संयुक्त नाम से खरीदी गई थीं.

पीठ ने कहा,

"मंत्री बनने के बाद आपने डमी लोगों को रखा. इससे पहले आपने खुद नियंत्रित किया. मामले 2022 के हैं. आप मंत्री थे, जाहिर है कि आप अपने खिलाफ जांच का आदेश नहीं देने जा रहे. न्यायिक हस्तक्षेप के कारण ही जांच शुरू हुई. आरोप है कि 28 करोड़ रुपये बरामद किए गए. निश्चित रूप से इतनी बड़ी राशि आवास में नहीं रखी गई होगी.’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे यह जांच करने की जरूरत है कि क्या उन्हें रिहा करने से जांच और लगाई जाने वाली शर्तों पर कोई प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उन्हें अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता.

क्या है मामला?

टीएमसी नेता व बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों की भर्ती में कथित अनियमितता के मामले में गिरफ्तार किया गया था. चटर्जी को गिरफ्तार किये जाने के बाद उन्हें ममता बनर्जी सरकार ने मंत्री पद से हटा दिया, जबकि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें महासचिव सहित सभी पार्टी पदों से भी हटा दिया था.