नई दिल्ली: राहुल गांधी ने कुछ समय पहले एक रैली के दौरान मोदी सरनेम को लेकर एक टिप्पणी की थी जिसके चलते उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया गया था और उन्हें गुजरात की निचली अदालत ने जेल की सजा भी सुनाई थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को अपहोल्ड किया था और इसी के चलते कांग्रेस नेता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसमें सुनवाई की तारीख आज की है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बी आर गवई (Justice BR Gavai), न्यायाधीश पी एस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) और न्यायाधीश संजय कुमार (Justice Sanjay Kumar) की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस मामले में सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अदालत में यह बात कही कि सभी पक्षकारों को जिरह के लिए 15-15 मिनट का समय दिया जाएगा। राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनुसिंघवी (Abhishek Manusinghvi) दलीलें पेश कर रहे हैं और पूर्णेश मोदी की तरफ से महेश जेठमलानी अपीयर हो रहे हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षकारों की दलीलों को सुनने के बाद राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है, सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है। अदालत का कहना है कि फैसले के प्रभाव व्यापक हैं, और उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के अधिकारों को प्रभावित करते हैं। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए और विशेष रूप से यह कि ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा के लिए कोई कारण नहीं दिया गया है जिससे अयोग्यता हुई है, कार्यवाही के लंबित रहने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ राहुल गांधी की वायनाड से लोक सभा में सदस्यता पुनःस्थापित हो जाती है।
न्यायालय की एक टिप्पणी के अलावा ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया गया है। यदि सज़ा एक दिन भी कम होती तो अयोग्यता से संबंधित प्रावधान लागू नहीं होते। ट्रायल जज से कम से कम यह अपेक्षा की जाती थी कि वह असंज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम सजा देने के कारण बताएं।
इतना ही नहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने सत्र अदालत और गुजरात उच्च न्यायालय के फैसलों पर भी टिप्पणी की है। पीठ का यह कहना है कि हालांकि अपीलीय अदालत और उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन में लोगों को बयान देते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
समाचार एजेंसी भाषा के हिसाब से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वकील ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम मोदी नहीं है, क्योंकि वह मोढ़ वणिक समाज से आते हैं। कांग्रेस नेता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ से कहा कि उनका मुवक्किल कोई कुख्यात अपराधी नहीं है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं द्वारा उनके खिलाफ कई मामले दर्ज कराए जाने के बावजूद उन्हें किसी भी मामले में कोई सजा नहीं हुई है।
अपनी एक रैली में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी; उन्होंने नीरव मोदी, ललित मोदी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम एक ही पंक्ति में लेते हुए कहा था कि वो यह समझ नहीं पा रहे हैं कि सभी चोरों का एक ही सरनेम कैसे है।
इसपर उनके खिलाफ भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने आपराधिक मानहानि का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया जिसमें सूरत के 'कोर्ट ऑफ चीफ जूडिशियल मैजिस्ट्रेट' (Court of Chief Judicial Magistrate) ने उन्हें दो साल की जेल की सजा सुना दी; राहुल गांधी की लोक सभा की सदस्यता भी चली गई। वैसे तो राहुल गांधी को उसी दिन जमानत मिल गई जिसके बाद उन्होंने सूरत की सत्र अदालत में याचिका दायर की जिसे खारिज कर दिया गया।
उनकी रीविजन प्ली को गुजरात उच्च न्यायालय ने भी खारिज कर दिया और जिसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख किया।