Congress Maifesto: सुप्रीम कोर्ट में मेनिफेस्टो के वादे को भ्रष्ट बताते हुए कांग्रेस प्रत्याशी की जीत को खारिज करने की मांग की गई थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने का जो वादा किया, वह भ्रष्ट आचरण का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी घोषणापत्र को भ्रष्ट आचरण मानने से इंकार किया है. याचिका को आगे सुनवाई से मना किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को समझाते हुए बताया कि लोकप्रतनिधियम के सेक्शन 123 मुताबिक भी आर्थिक दावे को भ्रष्ट आचरण नहीं कहा जा सकता है. आइये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या-कुछ कहा...
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने इस मामले को सुना. उन्होंने याचिकाकर्ता के दलीलों को मानने से इंकार किया. साथ ही आगे सुनवाई पर भी रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता के आरोपों को खारिज किया. अदालत ने समझाया कि चुनावी घोषणा पत्र में राजनीतिक दलों की ओर से किए गए वादे को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 123 के मुताबिक भ्रष्ट आचरण के तौर पर नहीं माना जाएगा. साथ ही कांग्रेस के इन गारंटियों को समाजिक कल्याण नीतियों के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. हां, वे आर्थिक तौर पर व्यवहार्य है या नहीं, ये एक अलग विषय है.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, कोई भी राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में जो वादे करता हैं, जिनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता दी जाती है, तो उसे उस उम्मीदवार का भ्रष्ट आचरण नहीं कहा जा सकता है.
बता दें कि कर्नाटक के चामराजपेट विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार शशांक श्रीधर ने कांग्रेस प्रत्याशी जमीर अहमद की उम्मीदवारी को चनौती दी थी. याचिका में उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा आर्थिक लाभ देने के वादे को भ्रष्ट आचरण बताया था.