सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एससी/एसटी के लिए रिजर्व सीट (Reserved Seat) से जीते प्रत्याशी की याचिका खारिज की. याचिका में उसने जाति वैधता प्रमाण पत्र (Caste Validity Certificate) न होने की वजह से गई निर्वाचन को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता-प्रत्याशी चुनाव जीतने के 12 महीने बाद भी अपनी जाति वैधता सर्टिफिकेट जमा नहीं कर पाया, जिससे उसकी उम्मीदवारी ही अयोग्य घोषित हुई.
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने मामले को जिम्मेदारी से नहीं लिया. वहीं, महाराष्ट्र पंचायत सदस्य अधिनियम के अनुसार रिजर्व सीट (Reserved Seat) से जीते प्रत्याशी 12 महीने के पहले या नामांकन के समय ही जाति वैधता सर्टिफिकेट देना होता है. अगर वे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो जीतने के बाद भी अपनी दावेदारी के लिए अयोग्य होंगे.
याचिकाकर्ता ने जम्बुलान की ग्राम पंचायत सदस्य चुनाव लड़ा. ये सीट आरक्षित थी. जिसके चलते याचिकाकर्ता-प्रत्याशी ने 30.12.2020 के दिन अपने कास्ट सर्टिफिकेट को जांच समिति के पास वैधता सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया. 21.01.2021 के दिन चुनाव का रिजल्ट आया. याचिकाकर्ता की जीत हुए. लेकिन वे 20.01.2022 तक जाति से जुड़ी वैधता सर्टिफिकेट लेने में विफल रहे. इस चलते उनकी सदस्यता अयोग्य हो गई. अपने अयोग्यता को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी. लेकिन हाईकोर्ट ने प्रत्याशी के खिलाफ फैसला सुनाया. बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रत्याशी की याचिका खारिज की.
महाराष्ट्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति, घुमंतू जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विशेष पिछड़ा वर्ग (जारी करने और सत्यापन का विनियमन) जाति सर्टिफिकेट एक्ट, 2000 (Caste Certificate, 2000), के अनुसार आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को अपनी कास्ट सर्टिफिकेट का संबंधित अधिकारी से वैधता प्रमाण पत्र हासिल करना होगा.
पंचायत अधिनियम की धारा 10-1ए के अनुसार, आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने व्यक्तियों नामांकन पत्र के साथ जांच समिति से प्राप्त जाति वैधता सर्टिफिकेट देना होगा. साथ ही जाति की वैधता सर्टिफिकेट नामांकन के समय उपलब्ध नहीं हो, तो प्रत्याशी को 12 महीने का समय अतिरिक्त समय मिलता है. और दिए गए समय में सर्टिफिकेट नहीं देने की स्थिति में उसका निर्वाचन अयोग्य घोषित हो जाएगा.