महाराष्ट्र के नासिक की जिला अदालत ने 1995 के धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले में महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे की दोषसिद्धि पर बुधवार को रोक लगा दी है. मजिस्ट्रेट अदालत ने 20 फरवरी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) नेता और उनके भाई सुनील कोकाटे को दोषी ठहराया था और सरकारी कोटे के तहत फ्लैट पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने से संबंधित मामले में उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी. मजिस्ट्रेट अदालत ने पिछले महीने ही माणिकराव कोकाटे और उनके भाई को दोषी ठहराया था, जबकि इसी मामले में दो अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था. बाद में दोनों भाइयों ने जिला न्यायाधीश 1 और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (नासिक) एन वी जीवने के समक्ष मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगाने के अनुरोध वाली एक अपील दायर की. सत्र अदालत ने बुधवार को उनकी अपील स्वीकार कर ली. विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं है.
यह मामला 1995 में पूर्व मंत्री टी.एस. दिघोले की शिकायत पर दर्ज किया गया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, माणिकराव कोकाटे और उनके भाई को मुख्यमंत्री के 10 प्रतिशत विवेकाधीन कोटे के तहत नासिक के येओलकर माला क्षेत्र में कॉलेज रोड पर निम्न आय वर्ग (एलआईजी) वाले दो फ्लैट आवंटित किए गए थे. आरोप है कि उन्होंने एलआईजी श्रेणी से संबंधित होने तथा शहर में अपना कोई मकान न होने का झूठा दावा किया. लो इनकम ग्रुप (एलआईजी -Low Income Group) में मकान उन लोगों के लिए बनाया जाता है, जिसमें लोगों की आय तीन से छह लाख के बीच होता है. दिघोले द्वारा पुलिस से संपर्क करने के बाद, नासिक के सरकारवाड़ा पुलिस थाने में कोकाटे भाइयों और दो अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी और अन्य अपराधों का मामला दर्ज किया गया था.