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Bribery Case: मद्रास हाईकोर्ट ने ED Officer की जमानत याचिका खारिज की, रिश्वत लेने के आरोप में तमिलनाडु DVAC ने किया था गिरफ्तार

20 लाख रिश्वत लेने के आरोपों में गिरफ्तार हुए ईडी अधिकारी अंकित तिवारी की जमानत याचिका खारिज करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा है. पहले भी, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु डीवीएसी की जांच पर रोक लगाया था.

Written by My Lord Team |Published : March 18, 2024 12:14 PM IST

Bribery Case On ED Officer: मद्रास हाईकोर्ट ने ईडी अधिकारी अंकित तिवारी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. प्रवर्तन निदेशालय के ऑफिसर को पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया था. ईडी अधिकारी के खिलाफ यह कार्रवाई तमिलनाडु सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने की. अंकित तिवारी पर 20 लाख रूपये रिश्वत लेने केआरोप है. ऑफिसर ने मद्रास हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दिया था, जिसमें उन्हें जमानत देने से इंकार किया गया था. आइये जानते हैं मद्रास हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कुछ कहा...

Madras HC के मदुरई बेंच ने की सुनवाई

शुक्रवार (15 मार्च, 2024) के दिन, मद्रास हाईकोर्ट के मदुरई बेंच ने ईडी अधिकारी की जमानत याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस एम ढांडापानी (Justice M Dhandapani) ने इस मामले को सुना. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज की. इस याचिका में ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने भी ईडी ऑफिसर को जमानत देने से इंकार किया था. हालांकि, इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु डीवीएसी की जांच पर रोक लगाई थी.

वहीं, मामले की सुनवाई कर रहे जज ने अंकित तिवारी को सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा है. बेंच ने कहा कि इस मामले में कब तक स्टे लगा रह सकता है. तथा कब तक जमानत मिलने की संभावना है. उक्त बातें सर्वोच्च न्यायालय ही निर्धारित कर सकती है.

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बेंच ने कहा,

"यद्यपि याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता अत्यंत महत्वपूर्ण है, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. यह न्यायालय एक कठिन परिस्थिति में है, जहाँ अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता को डिफ़ॉल्ट जमानत देना, प्रतिवादी के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा."

बेंच ने आगे कहा,

"सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने याचिकाकर्ता को आरोप पत्र दाखिल करने से रोक दिया था, जिसके कारण वर्तमान में डिफ़ॉल्ट जमानत की स्थिति उत्पन्न हुई है. यदि न्यायालय अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता को जमानत देता है, तो यह प्रतिवादी (तमिलनाडु डीवीएसी) के अधिकारों का उल्लंघन होगा, क्योंकि उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं मिला है. यह एक जटिल मामला है जिसमें दोनों पक्षों के महत्वपूर्ण अधिकारों का संतुलन बनाना भी आवश्यक है."

सुप्रीम कोर्ट ही सुझाएगी उपाय

बेंच ने कहा,

"...जब शीर्ष न्यायालय ने अंतरिम स्थगन का एक व्यापक आदेश दिया है, तो उस आदेश की व्याख्या उसके वर्तमान स्वरूप के अलावा किसी अन्य तरीके से करना न केवल सर्वोच्च न्यायालय के अनादर होगा, बल्कि अवमानना का भी एक कृत्य होगा."

क्या है मामला?

अंकित तिवारी को तमिलनाडु डीएवसी (DVAC) ने गिरफ्तार किया है. ईडी अधिकारी पर करीब 20 लाख रूपये रिश्वत लेने का आरोप लगा. इस मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने की मांग को लेकर ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. 25 जनवरी, 2024 के दिन सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु डीवीएसी की जांच पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया था.

वहीं, 6 फरवरी, 2024 के दिन,अंकित तिवारी की जमानत की मांग को तमिलनाडु की एक ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया. तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में विशेष अदालत के इसी फैसले को अंकित तिवारी ने मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट से भी ईडी अधिकारी को राहत नहीं मिली है.