मद्रास हाइकोर्ट (Madras High Court) ने हाल ही में एक एडवोकेट (Advocate) को भूख हड़ताल पर जाने की इजाजत दी है. एडवोकेट ने ‘तमिल’ को हाईकोर्ट की अधिकारिक भाषा बनाने के लिए भूख हड़ताल पर जाने की मांग की , जिसकी उसे मंजूरी मिल गई है. कोर्ट ने भूख हड़ताल के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने की सलाह भी दी है. बता दें कि, एडवोकेट 28 फरवरी 2024 से राजर्थिनम स्टेडियम में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे.
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने इस मांग को सुना. जस्टिस ने स्वीकृति भी देते हुए कहा, वकील का इरादा केवल खुद को दृढ़ता से व्यक्त करने का है और इस उद्देश्य में कुछ भी बुराई नहीं है.
कोर्ट ने कहा,
“याचिकाकर्ता हाइकोर्ट की कार्यवाही में तमिल को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग को लेकर अपनी बात पुरजोर तरीके से रखना चाहता है. इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है. इसलिए कुछ शर्तों के साथ इजाजत दी जा रही है.”
कोर्ट ने याचिकाकर्ता भगवत सिंह को निर्देश दिया कि वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के दौरान शांति बरतेंगे और कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस के साथ सहयोग करेंगे. अदालत ने याचिकाकर्ता से अनिश्चितकालीन उपवास में शामिल होने वाले अन्य सदस्यों का विवरण भी मांगा है. कोर्ट ने निर्देश दिया है. भूख हड़ताल में शामिल होने वाले नेताओं की सूची पुलिस को देना होगा. साथ ही भूख हड़ताल में होनेवाली गतिविधियों से पुलिस को अवगत कराना होगा. आयोजक स्थानीय पुलिस के साथ सहयोग देने का आदेश दिया है.
जस्टिस ने इस विषय पर अपना राय भी रखा. उन्होंने कहा, हड़ताल करने का कोई मतलब नहीं है और जरूरत इस बात की है कि कानून की पुस्तकों और आदेशों का तमिल में अनुवाद करने का प्रयास किया जाना चाहिए. जज ने कहा कि वे ऐसे आंदोलनों का व्यक्तिगत रूप से प्रशंसक नहीं है.