मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने भोपाल-उज्जैन यात्री ट्रेन विस्फोट मामले में आदेश दिया है कि नाबालिग आरोपी के मामले की सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जुवेनाइव कोर्ट के पास है, न कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) अधिनियम के तहत विशेष अदालत के पास. हाई कोर्ट आरोपी के मुकदमे पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश भोपाल की ओर से मांगी गई सलाह का जवाब दे रहा था. मार्च 2017 में शाजापुर जिले के जबड़ी स्टेशन पर हुए विस्फोट में 10 लोग घायल हो गए थे. एनआईए इस मामले की जांच कर रहा है.
जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने कहा कि आरोपी से भले ही अब वयस्क की तरह बर्ताव किया जाएगा, लेकिन उसकी सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में ही जारी रहेगी. अदालत ने कहा कि इस मामले में किशोर न्याय अधिनियम और एनआईए कानून 2008 दोनों ही लागू होते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में किशोर न्याय अधिनियम को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि यह विशेष कानून है और बच्चों की रक्षा के लिए बनाया गया है.
अदालत ने कहा,
‘‘घटना की तारीख पर नाबालिग की उम्र 18 वर्ष से कम थी. इसलिए, मामले को कानून के अनुसार निपटारे के लिए किशोर न्याय बोर्ड को भेजा गया था."
अदालत ने कहा,
‘‘प्रधान मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड, भोपाल ने 28 अप्रैल 2024 को इस टिप्पणी के साथ एक आदेश पारित किया है कि हालांकि घटना की तारीख को नाबालिग केवल 17 वर्ष का था, लेकिन वह शारीरिक और मानसिक रूप से फिट था और अपराधों के परिणामों को समझने के लिए पर्याप्त सक्षम था.’’
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, मामले को बाल अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन इस अदालत को एनआईए अधिनियम के तहत अधिसूचित नहीं किया गया था. आदेश के अनुसार, इस तरह का संदर्भ इसलिए दिया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन सी अदालत मामले की सुनवाई करेगी; चाहे वह एनआईए अधिनियम के तहत अधिसूचित अदालत हो या बाल अदालत हो.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)