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Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन व सदस्यों को अवमानना नोटिस

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किया मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुझाव आमत्रिंत किए जाने के बावजूद हड़ताल का ऐलान करना न्यायिक पक्ष को चुनौती देना है और अधिवक्ताओं को अदालत में जाने से रोकना एक अपराध है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : March 28, 2023 4:08 AM IST

नई दिल्ली: Madhya Pradesh High Court की जबलपुर बेंच ने अधिवक्ताओं की हड़ताल और न्यायिक कार्य बहिष्कार के ऐलान के मामले में स्वप्रेणा प्रंसज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन व सदस्यों को अवमानना नोटिस जारी किए है.

जबलपुर बेंच के जस्टिस अतुल श्रीधरन ने अवमानना मामले में कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है कि वकीलों को न्यायिक कार्यवाही से दूर रहने के लिए मजबूर करने के लिए उनके खिलाफ क्यों ना उनके खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष और निर्वाचित सदस्यों द्वारा बुलाई गई हड़ताल हाईकोर्ट के 24 मार्च को पारित आदेश की खुलेआम अवहेलना है, जो न्यायालय द्वारा हड़ताल को लेकर स्वत: संज्ञान मामले में शुरू की गई थी.

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वकीलों को मजबूर किया

जस्टिस श्रीधरन ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को चेयरमैन व सदस्यों के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा -"मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष और उसके निर्वाचित सदस्यों की ओर से की गई कार्रवाई हाईकेार्ट एक्ट की धारा 2(c)(ii) या (iii) के तहत परिभाषित आपराधिक अवमानना ​​की है. इसलिए, रजिस्ट्री को अवमानना ​​दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है.

राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष और राज्य बार काउंसिल के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के खिलाफ मामला (आपराधिक) और उन्हें नोटिस जारी करें कि वकीलों को मजबूर करने के कारण इस अदालत को अदालत की आपराधिक अवमानना ​​के लिए उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाना चाहिए.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि "न्यायिक कार्य से दूर करनेा राज्य में न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप और बाधा डालना है.

न्यायिक कार्य बहिष्कार

मामले की शुरूआत हाईकोर्ट के 22 मार्च के एक आदेश से हुई जिसके द्वारा जिला अदालतों की प्रत्येक अदालत को अगले तीन माह सबसे पुराने 25 केसो की पहचान कर उनका निस्तारण करने के आदेश दिए गए थे.

बार काउंसिल ने हाईकोर्ट प्रशासन के इस आदेश को जजों और वकीलों पर अतिरिक्त बोझ डालने का बताते हुए विरोध का ऐलान किया.इस मामले में Bar Council chairman ने एक सूचना जारी करते हुए सभी अधिवक्तओं से न्यायिक कार्य बहिष्कार का आहवान किया.

Bar Council chairman ने इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर 22 मार्च को जारी किए आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया.

23 मार्च से अधिवक्ताओं ने हड़ताल करते हुए न्यायिक कार्यो का बहिष्कार शुरू किया.जिसके बाद हाईकोर्ट की 2 सदस्यों की पीठ ने स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए निर्देशो का पालन नही करने पर अदालत की अवमानना बताया. इसके बावजूद अधिवक्तओं की हड़ताल जारी रही.

न्यायिक पक्ष को चुनौती

सोमवार को हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी करते हुए अपने आदेश में कहा कि इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने अपनी ओर से बार के सदस्यों से सुझाव मांगे थे, लेकिन इसके बजाय, राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष और निर्वाचित सदस्यों ने अनावश्यक रूप से हड़ताल की घोषणा करके मामले को तूल दिया है.

एकलपीठ ने कहा कि इस तरह से Bar Council ने न्यायिक पक्ष को चुनौती दी है, बिना कारण हाईकोर्ट और जिला अदालतों में कामकाज ठप करने का प्रयास किया हैं.

एकलपीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी वकील को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने से रोकने का कोई भी प्रयास उन्हें आईपीसी की धारा 341 (गलत अवरोध) के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी बना देगा.