NCPCR On Madrasa Education: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों को मदरसा में पढ़ाने को लेकर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मदरसा में पढ़ने वाले छात्रों को क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रहा है. बाल आयोग अपनी रिपोर्ट में मदरसे में शिक्षकों की बहाली व दारूम उलूम की वेबसाइट पर जारी फतवे पर भी अपनी राय दी है. बाल आयोग ने कहा कि दारूल उलूम की वेबसाइट पर ऐसे फतवे जारी किए गए हैं जो पॉक्सो अधिनियम का उल्लंघन करते हैं. आइये जानते हैं कि बाल आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट से और क्या कहा है...
बाल आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मदरसा राइट टू एजुकेशन के तहत नहीं है. वहां फॉर्मल एजुकेशन की कमी है, साथ ही वहां ऐसा महौल भी नहीं है जिससे वहां पढ़ने वाले बच्चों का पूर्ण विकास हो. साथ ही उन्हें राइट टू एजुकेशन के तहत मिलने वाले शिक्षा का भी लाभ नहीं मिल रहा है.
बाल आयोग ने कहा कि मदरसा एजुकेशन पूरी तरह धार्मिक शिक्षा पर ही फोकस करती है और कोई एक्सट्रा एक्टिविटी नहीं कराई जाती है. साथ ही शिक्षकों की बहाली भी मैनेजमेंट द्वारा ही किया जाता है, जिसमें शैक्षणिक योग्यता की कमी होने के बावजूद उनकी बहाली हो जाती है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(NCPCR) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल लिखित दलीलों में देवबंद स्थित दारुल उलूम मदरसे की वेबसाइट पर मौजूद कई आपत्तिजनक कंटेंट का भी हवाला दिया है. आयोग के मुताबिक दारुल उलूम की वेबसाइट पर मौजूद एक फतवा नाबालिक लड़की के साथ फिजिकल रिलेशनशिप को लेकर दिया गया, जो कि ना केवल भ्रामक है, बल्कि पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों का भी सीधे तौर पर हनन है. इसी तरह दारुल उलूम की वेबसाइट पर एक फतवा पाकिस्तान के रहने वाले एक शख्स के सवाल पर जारी किया गया था जिसमें उस शख्श ने 'गैर मुसलमानों पर आत्मघाती हमले' के बारे में सवाल पूछा था. दारुल उलम देवबंद ने इस सवाल को 'गैर कानूनी' बताने की बजाय यह बयान जारी किया कि 'अपने स्थानीय विद्वान से इस बारे में सलाह लें. कमीशन के मुताबिक दारुल उलूम देवबंद की तरफ से जारी इस तरह के बयान न केवल गैरमुसलमानों पर आत्मघाती हमले को सही ठहरा रहे हैं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं. इसी तरह दारुल उलूम का फतवा गजवा ए हिंद की बात करता है. आयोग का कहना है कि दारुल उलूम इस्लामी शिक्षा का केंद्र होने के चलते इस तरह के फतवे जारी कर रहा है जो कि बच्चों को अपने ही देश के खिलाफ नफरत की भावना से भर रहे हैं.