बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई जारी थी. अदालत ने याचिका पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता को राहत के लिए ट्रायल कोर्ट में जाने के निर्देश दिए. जस्टिस के ऐसा कहने पर ही व्यक्ति भड़क उठा. उसने प्रत्युत्तर देते हुए कहा कि मै इडियट हूं जो यहां चला आया. उसने मराठी में कहा (Aamhi kay vede aahot kay yethe yayla? (Am I an idiot to come here?). साथ ही अदालत आर्डर कॉपी के अनुसार, व्यक्ति ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएगा, ना कि उनके निर्देशों का पालन करते हुए निचली अदालत में जाएगा. हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा दिल रखते हुए याचिकाकर्ता के इस रवैये को नजरअंदाज करते हुए माफ कर दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस अजय गडकरी और नीला गोखले की अगुवाई वाली बेंच FIR रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने पिता और खुद पर FIR को रद्द कनरे की मांग की थी. पब्लिक प्रोसीक्यूटर विनोद चाटे (Vinod Chate) अदालत के सामने मौजूद थे. उन्होंने अदालत को बताया कि मामले में चार्जशीट दायर की जा चुकी है.
अदालत ने कुमार को बताया कि वे चार्जशीट दायर होने के बाद ट्रायल कोर्ट से राहत पाने का एक वैकल्पिक उपाय है. हालांकि याचिकाकर्ता अपनी जिद पर अड़ा रहा.
उसने कहा कि
"ऐसी याचिका दायर कर राहत की मांग करना उसका मौलिक अधिकार है."
व्यक्ति ने आगे कहा,
"अदालत उसे अन्य उपायों को सुझाने की जगह याचिका का गुण-दोष (मेरिट) के आधार पर फैसला लेना चाहिए."
अदालत ने व्यक्ति के रवैये पर गौर किया. उन्होंने कहा कि जो कि व्यक्ति अदालत के सामने मौजूद था इसलिए हमने उस पर रियायत दिखाई. हमने विवेक का प्रयोग कर उदारता दिखाने का निर्णय लिया है. अदालत ने व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी लेकिन ट्रायल कोर्ट के समक्ष सीआरपीसी के तहत राहत पाने के वैकल्पिक उपाय को बरकरार रखा.