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लेटरल इंट्री में आरक्षण को लेकर छिड़ा बीजेपी-कांग्रेस में छिड़ा सियासी घमासान, अब अखाड़े में बसपा प्रमुख मायावती भी आई

चित्र में मायावती, राहुल गांधी, अश्विनी वैष्णव.

UPSC के नोटिफिकेशन ने LateralEntry के जरिए 45 मंत्रालयों में भर्ती निकाली है, जिसे लेकर नेता विपक्ष व कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने ट्वीट कर चिंता जताई कि ऐसा करके सरकार ओबीसी, एससी व एसटी के आरक्षण को दरकिनार कर रही हैं, और राहुल गांधी के बाद बसपा सुप्रीमो Mayawati ने भी इसे संविधान का उल्लंघन बताया है

Written by Satyam Kumar |Published : August 19, 2024 1:03 PM IST

लेटरल इंट्री से भर्ती को लेकर आए यूपीएससी के आवेदन ने एक नया सियासी जंग छेड़ दिया है. प्रभाव इतना कि आरक्षण की मांग कनरेवालों ने 21 अगस्त को भारत बंद करने का ऐलान कर दिया है. यूपीएससी के नोटिफिकेशन ने लेटरल इंट्री के जरिए 45 मंत्रालयों में भर्ती निकाली है, जिसे लेकर नेता विपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर चिंता जताई कि ऐसा करके सरकार ओबीसी, एससी व एसटी के आरक्षण को दरकिनार कर रही हैं, और राहुल गांधी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इसे संविधान का उल्लंघन बताया है. वहीं बीाजेपी नेता व केन्द्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णवन ने दावा किया कि लेटरल इंट्री लाने का विचार कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने ही किया था.

लेटरल इंट्री में OBC, SC और ST  दरकिनार: राहुल गांधी

कांग्रेस नेता व लीडर ऑफ अपोजिशन (Leader Of Oppostion) राहुल गांधी ने इस विज्ञापन को लेकर आरोप लगाया है कि इसमें अन्य पिछड़ा, अति पिछड़ी जाति और जनजाति के आरक्षण (OBC, SC-ST Reservation) को दरकिनार किया गया है.

 लेटरल इंट्री के अखाड़े में उतरी मायावती

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा प्रमुख मायावती भी इस बहस में शामिल हो चुकी है. उन्होंने भी विरोध करते हुए कहा कि यूपीएससी के इस विज्ञापन से बहाली होती है तो संविधान का उल्लंघन होगा. उन्होंने इस नोटिफिकेशन को सरकार की मनमानी बताई है.

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केन्द्रीय रेलमंत्री ने लेटरल इंट्री दी प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के ट्वीट पर बीजेपी नेता व केन्द्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णवन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन यूपीए सरकार (UPA Government) पर टिप्पणी की है.

अश्विनी वैष्णव ट्वीट में लिखते हैं,

लेटरल एंट्री

लेटरल एंट्री मामले में कांग्रेस का पाखंड स्पष्ट है. लेटरल एंट्री की अवधारणा यूपीए सरकार ने ही विकसित की थी.

2005 में यूपीए सरकार के दौरान दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (SRC) स्थापित किया गया था. श्री वीरप्पा मोइली ने इसकी अध्यक्षता की थी.

यूपीए काल के एआरसी ने विशेष ज्ञान की आवश्यकता वाले पदों में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी.

एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है. भर्ती यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी.

इस सुधार से शासन में सुधार होगा.

ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी (NJP) लोगों के बीच अपनी बात कैसे पहुंचाती है, लेटरल इंट्री के मामले में आरक्षण के एंगल का कैसे जवाब देगी.